मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदारों के बीच की लड़ाई का अखाड़ा बना करहल उपचुनाव |

मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदारों के बीच की लड़ाई का अखाड़ा बना करहल उपचुनाव

मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदारों के बीच की लड़ाई का अखाड़ा बना करहल उपचुनाव

:   Modified Date:  October 24, 2024 / 10:35 PM IST, Published Date : October 24, 2024/10:35 pm IST

मैनपुरी (उप्र), 24 अक्टूबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के करहल विधानसभा सीट के लिए होने वाला उपचुनाव मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदारों के बीच की लड़ाई का अखाड़ा बन गया है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को अनुजेश यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लोकसभा के लिये निर्वाचित होने के बाद उनके इस्तीफे से करहल सीट रिक्त हुयी थी, और इस कारण यहां 13 नवंबर को मतदान कराया जायेगा।

अनुजेश यादव को मैदान में उतारने के भाजपा के फैसले ने सपा के तेज प्रताप यादव के साथ मुकाबला कड़ा कर दिया है, जो शक्तिशाली सैफई परिवार के सदस्य और दिवंगत मुलायम सिंह यादव के भतीजे रणवीर सिंह यादव के पोते हैं।

पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक दूसरी ओर अनुजेश यादव मुलायम सिंह यादव के भतीजे और आजमगढ़ से सपा सांसद धर्मेन्द्र यादव के सगे जीजा हैं। धर्मेन्द्र सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं।

राजनीतिक पर्यवेक्षक इस उपचुनाव को यादव परिवार के दो रिश्तेदारों के बीच एक बड़े पारिवारिक मामले के रूप में देख रहे हैं, जिसमें तेज प्रताप करहल सीट पर सपा के लंबे समय से कब्जे का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि अनुजेश यादव भाजपा के समर्थन से अपनी पैठ बनाने का लक्ष्य रखते हैं।

अनुजेश यादव फिरोजाबाद जिले के भरौल गांव के रहने वाले हैं और उनकी शादी मैनपुरी के जिला पंचायत की पूर्व जिला प्रमुख संध्या यादव से हुई है, जो भाजपा की प्रमुख समर्थक रही हैं। यादव परिवार से उनके पारिवारिक संबंध उपचुनाव में जटिलता की एक परत जोड़ते हैं, क्योंकि वे सपा के उम्मीदवार तेज प्रताप यादव के ‘फूफा’ हैं।

करहल सीट पर 1993 से सपा का दबदबा है और 2022 के विधानसभा चुनाव में खुद अखिलेश यादव ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। हालांकि, 2024 में कन्नौज से लोकसभा में जीत के बाद उन्होंने करहल सीट खाली कर दी, जिससे इस उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) द्वारा भी अवनीश कुमार शाक्य नाम के उम्मीदवार को मैदान में उतारने के बावजूद राजनीतिक विश्लेषक इस मुकाबले को भाजपा और सपा के बीच सीधी लड़ाई के रूप में देख रहे हैं।

बसपा के इस कदम को सपा के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, खासकर सपा के जिला प्रमुख एवं विधायक रह चुके आलोक शाक्य के शाक्य वोटों पर कब्ज़ा करने की उम्मीद है।

रिश्तेदारों के बीच प्रतिद्वंद्विता तब और बढ़ गई, जब 24 मार्च, 2019 को धर्मेंद्र यादव के नाम से एक पत्र वायरल हुआ, जिसने भाजपा में शामिल होने के फैसले के बाद अनुजेश से खुद को दूर कर लिया था। पत्र में लिखा था, ‘जो कोई भी भाजपा में शामिल होता है, वह मेरा रिश्तेदार नहीं हो सकता।’

यादव परिवार के पैतृक गांव सैफई से महज चार किमी दूर स्थित करहल डिंपल यादव के मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र का भी हिस्सा है।

करहल उत्तर प्रदेश की उन नौ विधानसभा सीटों में से एक है जहां 13 नवंबर को उपचुनाव होने हैं। नतीजे 23 नवंबर को आने हैं।

भाषा सं जफर रंजन

रंजन

 

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