जेपीसी बैठक : शिया वक्फ बोर्ड ने जताई 'वक्फ बिल इस्तेमाल' संपत्तियों के भविष्य को लेकर चिंता |

जेपीसी बैठक : शिया वक्फ बोर्ड ने जताई ‘वक्फ बिल इस्तेमाल’ संपत्तियों के भविष्य को लेकर चिंता

जेपीसी बैठक : शिया वक्फ बोर्ड ने जताई 'वक्फ बिल इस्तेमाल' संपत्तियों के भविष्य को लेकर चिंता

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Modified Date: January 21, 2025 / 05:19 PM IST
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Published Date: January 21, 2025 5:19 pm IST

लखनऊ, 21 जनवरी (भाषा) वक्फ संशोधन विधेयक के सिलसिले में गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मंगलवार को यहां एक अहम बैठक हुई।

बैठक में शिया वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी और विभिन्न मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि तथा सरकार के नुमाइंदे शामिल हुए।

बैठक में शामिल हुए उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि बैठक में जेपीसी सदस्यों के सामने वक्फ संपत्तियों से जुड़े विभिन्न पक्षकारों ने अपनी-अपनी बात रखी।

राजभर ने कहा,‘‘सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है। वह वक्फ संपत्तियों का लाभ गरीब मुसलमानों को भी देना चाहती है।’’

उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा,‘‘जिन लोगों ने वक्फ की जमीनों पर अवैध कब्जा किया है, वे ही वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं।’’

बैठक में शामिल रहे उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अली जैदी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्होंने बैठक में अपना पक्ष रखा।

जैदी ने बताया कि उन्होंने खासकर ‘वक्फ बिल इस्तेमाल’ संपत्तियों के भविष्य को लेकर व्याप्त अनिश्चितता को जेपीसी के सामने रखा है।

उन्होंने बताया कि वक्फ संशोधन विधेयक के मसविदे में ‘वक्फ बिल इस्तेमाल’ संपत्तियों को वक्फ की श्रेणी से बाहर करने की बात कही गई है, ऐसे में सवाल यह है कि अगर ऐसा किया गया तो उन संपत्तियों का क्या होगा, उनका प्रबंधन कौन करेगा।

जैदी ने बताया कि उन्होंने जेपीसी के सामने यह बात रखी कि सारी दरगाहें, कर्बलाएं, इमामबाड़े, खानकाहें और कब्रिस्तान ऐसी सम्पत्तियां हैं जो इस्तेमाल में आती हैं लेकिन वक्फ के रूप में लिखित रूप से दर्ज नहीं हैं।

उनका कहना था कि हालांकि वे इस्तेमाल के लिहाज से वक्फ में ही आती हैं और उनका प्रबंधन वक्फ अधिनियम के जरिए ही होता है।

शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि और कई कानूनी पहलू हैं जिन्हें उन्होंने जेपीसी के सामने रखा है।

उन्होंने बताया कि बैठक में जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल के साथ-साथ सांसद ए. राजा, इमरान मसूद, असदुद्दीन ओवैसी, मुहिबुल्लाह नदवी तथा राज्य सरकार के विभिन्न प्रतिनिधि शामिल थे।

जेपीसी का गठन संसद में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के पारित नहीं हो पाने के बाद किया गया था। जेपीसी ने हाल के महीनों में देश के विभिन्न राज्यों में बैठकों के माध्यम से वक्फ से जुड़े विभिन्न पक्षों के साथ विचार-विमर्श करके उनकी आपत्तियों को जानने की कोशिश की है। जेपीसी को आगामी 31 जनवरी को अपनी रिपोर्ट संसद के समक्ष प्रस्तुत करनी है।

भाषा सलीम राजकुमार

राजकुमार

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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