Braj Ki Holi 2025

Braj Ki Holi 2025: ब्रज में इस दिन से हो रही रंगोत्सव की शुरुआत, 40 दिनों तक खेली जाएगी होली, जोरों-शोरों से चल रही तैयारी

Braj Ki Holi 2025: ब्रज में इस दिन से हो रही रंगोत्सव की शुरुआत, 40 दिनों तक खेली जाएगी होली, जोरों-शोरों से चल रही तैयारी

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Modified Date: February 1, 2025 / 05:17 PM IST
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Published Date: February 1, 2025 5:16 pm IST

Braj Ki Holi 2025: मथुरा। उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में वसंत पंचमी के दिन से ही होली की धूम शुरू हो जाएगी। विश्वविख्यात मंदिरों और प्रमुख चौराहों पर होली का डांढ़ा (होलिका दहन के लिए चिह्नित स्थान का संकेतक) गाड़ा जाएगा और मंदिरों में ठाकुरजी की प्रसादी के रूप में अबीर-गुलाल उड़ाया जाएगा। इसके लिए ब्रज के मंदिरों एवं अन्य स्थानों पर तैयारियां जोरों पर हैं।

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वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधक मुनीश शर्मा ने बताया कि शहर के मंदिरों में सोमवार को वसंत पंचमी से ठाकुरजी भक्तों के साथ होली खेलेंगे और फाल्गुन पूर्णिमा तक होली का उल्लास छाया रहेगा। उन्होंने बताया कि दुनिया के बाकी हिस्सों में जहां होली का पर्व दो-तीन दिन तक मनाया जाता है, वहीं राधा-कृष्ण के निश्छल प्रेम की इस धरती पर यह पर्व वसंत पंचमी से शुरू होकर फागुन मास की पूर्णिमा (होलिका दहन के दिन) के बाद अगले 10 दिन तक जारी रहता है।

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शर्मा के मुताबिक, “ब्रज में होलिकोत्सव अलग तरीके से मनाया जाता है। शुरुआत वसंत पंचमी पर ठाकुरजी के ‘हुरियार’ (होली खेलने के लिए मतवाले ग्वाल) के रूप में दर्शन दिए जाने से होती है, जिसमें दर्शन के लिए आने वाले भक्तों पर प्रसाद के रूप में गुलाल की वर्षा की जाती है। यह परंपरा होलिका दहन तक चलती है, उसके बाद ‘हुरंगा’ (होली की खुशी में गाए जाने वाले गीत और नृत्य) की परंपरा में बदल जाती है, जो 10 दिन बाद तक जारी रहती है।” बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन समिति के पदाधिकारी उमेश सारस्वत ने कहा कि बरसाना और नंदगांव की ‘लठमार होली’ (जिसमें हुरियारिन कृष्ण के सखा का रूप धरकर उनसे होली खेलने पहुंचे हुरियारों की लाठियों से पिटाई करती हैं) के लिए “ब्रज का होलिकोत्सव” दुनिया भर में मशहूर है।

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शर्मा ने बताया कि बांके बिहारी मंदिर में गुलाल की होली तीन फरवरी को वसंत पंचमी से लेकर 10 मार्च को रंगभरनी एकादशी तक जारी रहेगी। रंगभरनी एकादशी से पूर्णिमा तक ठाकुरजी रंग, गुलाल, केसर, इत्र, अर्गजा और गुलाल जल से होली खेलेंगे। मंदिर के सेवायत प्रह्लाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि श्रीबांकेबिहारी मंदिर में वसंत पंचमी के दिन सबसे पहले वसंती वस्त्र-आभूषणों में सजे-संवरे बांकेबिहारी महाराज की ऋंगार सेवा के अंतर्गत गुलाल अर्पित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ठाकुरजी भक्तों को हुरियारे स्वरूप में दर्शन देंगे, जिसके उन्हें केसर और पंच मेवा युक्त मोहनभोग, बादाम मिश्रित मूंग की दाल का हलवा, केसरिया खीर का विशेष भोग अर्पित किया जाएगा।

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गोस्वामी के अनुसार, “मंदिर के सेवायत गोस्वामी हाथरस से हर्बल गुलाल और कन्नौज से इत्र ला रहे हैं। इसके अलावा, स्थानीय कारीगरों से ठाकुरजी के लिए वसंती रंग की पोशाक तैयार करवाई जा रही है।” वृंदावन के ही सुप्रसिद्ध ठाकुर शाह बिहारी मंदिर के प्रबंधक प्रशांत शाह ने बताया कि ‘टेढ़े-मेढ़े खंभों वाले मंदिर’ के रूप में प्रसिद्ध ‘शाहजी मंदिर’ का साल में दो बार खुलने वाला वसंती कमरा तीन फरवरी को वसंत पंचमी के अवसर पर खुलेगा। उन्होंने बताया कि संध्या काल में श्रीजी यानी राधारानी झाड़-फानूस की रंग-बिरंगी रोशनी के बीच मंदिर में विराजमान हो भक्तों को दर्शन देंगी।

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शाह के अनुसार, भक्त पूरे साल इस दिन का इंतजार करते हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर प्रबंधन इस खास दिन के लिए मंदिर को संगमरमरी रोशनी से सजाएगा। शाह के मुताबिक, “वसंती कमरे की सजावट के प्रमुख आकर्षण प्राचीन झाड़-फानूस और बेल्जियम कांच के कलश आदि की साफ-सफाई का काम जारी है। इस खास कमरे में तीन फरवरी को सुबह 10 बजे से दोपहर साढ़े 12 बजे तक और शाम पांच बजे से रात आठ बजे तक श्रीजी के दर्शन होंगे। उसके बाद भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। यह क्रम अगले दिन भी जारी रहेगा।”

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होली के विभिन्न आयोजनों को लेकर जिला प्रशासन भी सक्रिय हो रहा है। मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, गोकुल, बलदेव आदि तीर्थस्थलों पर विभिन्न आयोजनों को लेकर वहां बुनियादी सुविधाएं दुरुस्त की जा रही हैं। जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने दो दिन पहले बरसाना सहित अन्य जगहों का दौरा कर नगर पंचायत को सभी तैयारियां पूरी कर लेने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने बरसाना की होली के लिए सभी व्यवस्थाएं देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के अनुरूप करने को कहा है। साथ ही उन्होंने रंगीली गली सहित उन सभी स्थलों को भव्य तरीके से सजाने-संवारने को कहा है, जहां ‘लठमार होली’ का आयोजन किया जाएगा।

 

ब्रज में होली कब से शुरू होती है?

ब्रज में होली की शुरुआत वसंत पंचमी से होती है, जो इस साल 3 फरवरी 2025 को है।

ब्रज की होली कितने दिनों तक मनाई जाती है?

ब्रज में होली 40 दिनों तक मनाई जाती है, जो वसंत पंचमी से शुरू होकर रंगभरनी एकादशी और होलिका दहन तक चलती है।

ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में होली कैसे मनाई जाती है?

वसंत पंचमी के दिन ठाकुर बांके बिहारी महाराज बसंती रंग की पोशाक धारण करते हैं और आरती के बाद भक्तों पर गुलाल उड़ाया जाता है।

ब्रज की होली का क्या महत्व है?

ब्रज की होली भगवान कृष्ण और राधा रानी के प्रेम और रंगों के उत्सव को दर्शाती है, जिसे पूरे विश्व में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

ब्रज में होली के मुख्य स्थान कौन-कौन से हैं?

ब्रज में होली का मुख्य आकर्षण वृंदावन, मथुरा, बरसाना, नंदगांव, गोकुल, और निधिवन में होता है, जहां भक्त रंगों और भक्ति में डूबकर होली मनाते हैं।