रामपुर (हिप्र), 13 अगस्त (भाषा) हिमाचल प्रदेश के शिमला में पिछले महीने भारी बारिश से प्रभावित सुंडा गांव के लोगों ने सरकार से सुरक्षित स्थानों पर अपने पुनर्वास की मांग की है। भारी बारिश के कारण गांव में कई घरों को काफी नुकसान हुआ है तथा कुछ घरों में दरारे आ गई हैं।
जिले के रचोली पंचायत क्षेत्र के ग्रामीणों की शिकायत है कि 25 जुलाई को बादल फटने की घटना के बाद राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई राहत अपर्याप्त थी। बारिश के कारण घरों को नुकसान पहुंचने के बाद कई लोग अपने रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं तथा अन्य लोग गांव के सरकारी स्कूल में रुके हुए हैं।
सुंडा गांव की निवासी जप्ती देवी ने कहा, ‘मेरा घर क्षतिग्रस्त हो गया है और सरकार ने राहत के रूप में 5,000 रुपये दिए, जो बहुत कम है। हम चाहते हैं कि प्राकृतिक आपदा से गंभीर रूप से प्रभावित ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर बसाया जाए।’
वहीं, एक बुजुर्ग ग्रामीण ने दावा किया, ‘बादल फटने से सब कुछ क्षतिग्रस्त हो गया। अब तक हमें सरकार से कोई मदद नहीं मिली है।’
रामपुर के उपमंडल मजिस्ट्रेट निशांत तोमर ने कहा कि पिछले महीने आई प्राकृतिक आपदा के कारण हुए नुकसान का आकलन किया गया है और सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों के आधार पर राहत प्रदान की जाएगी।
हिमाचल प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस नीत राज्य सरकार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि यहां लोगों को दी जा रही राहत अपर्याप्त है।
भाजपा नेता जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर बारिश प्रभावित इलाकों में राहत वितरण के दौरान लोगों से उनकी राजनीतिक संबद्धता के आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया था।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया था कि ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि जिन लोगों को कोई नुकसान नहीं हुआ, उन्हें राहत मिल गई, जबकि बारिश और बाढ़ के वास्तविक पीड़ित सहायता से वंचित रह गए।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों के लिए प्रभावित परिवारों को तत्काल राहत की राशि 5,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि सरकार उन लोगों के लिए राहत बढ़ाने पर भी विचार कर रही है जिनके घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
भाषा साजन नेत्रपाल
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