लखनऊ, तीन अक्टूबर (भाषा) बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने हाथरस के फुलराई गांव में दो जुलाई को सत्संग के बाद मची भगदड़ के मामले में पुलिस द्वारा दाखिल आरोप पत्र में स्वयंभू बाबा सूरजपाल उर्फ ‘भोले बाबा’ का नाम शामिल नहीं किए जाने पर बृहस्पतिवार को सवाल उठाए हैं।
पुलिस ने मंगलवार को हाथरस की एक अदालत में 3200 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया था जिसमें आरोपियों की सूची में सूरजपाल का नाम शामिल नहीं था।
मायावती ने आरोप लगाया कि 11 आरोपियों की सूची में सूरजपाल का नाम शामिल नहीं किए जाने का मतलब है कि उसे राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त है। इस भगदड़ कांड में 121 लोगों की मौत हो गई थी।
बसपा प्रमुख ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में दो जुलाई को हुए सत्संग भगदड़ कांड में 121 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें अधिकतर महिलाएं एवं बच्चे हैं।
उन्होंने पोस्ट में लिखा, ‘‘इस भगदड़ कांड के संबंध में दाखिल आरोप पत्र में सूरजपाल सिंह उर्फ ‘भोले बाबा’ का नाम नहीं होना जनविरोधी राजनीति है। इससे साबित होता है कि ऐसे लोगों को राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त है, जो अनुचित है।’’
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा, ‘‘मीडिया के अनुसार सिकंदराराऊ की इस दर्दनाक घटना को लेकर आरोप पत्र में 11 सेवादारों को आरोपी बनाया गया है, लेकिन बाबा सूरजपाल के बारे में सरकार द्वारा पहले की तरह चुप्पी क्या उचित है? ऐसे सरकारी रवैये से ऐसी घटनाओं को क्या आगे रोक पाना संभव है? आमजन चिंतित हैं।’’
भगदड़ की घटना के सिलसिले में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में कार्यक्रम के मुख्य आयोजक और प्रमुख सेवादार देवप्रकाश मधुकर को मुख्य आरोपी बनाया गया है। अन्य आयोजकों और सेवादारों का नाम और पता अज्ञात है। पुलिस ने बाद में मधुकर समेत 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था।
सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के वकील ए. पी. सिंह के अनुसार अभियुक्तों में से एक मंजू यादव इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जमानत मिलने पर बाहर है, जबकि अन्य आरोपी अब भी जेल में हैं।
भाषा सलीम सुरभि मनीषा
मनीषा
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