प्रकृति व पर्यावरण की कीमत पर होने वाला विकास क्षणिक और खतरनाक : योगी आदित्यनाथ |

प्रकृति व पर्यावरण की कीमत पर होने वाला विकास क्षणिक और खतरनाक : योगी आदित्यनाथ

प्रकृति व पर्यावरण की कीमत पर होने वाला विकास क्षणिक और खतरनाक : योगी आदित्यनाथ

:   Modified Date:  September 6, 2024 / 03:57 PM IST, Published Date : September 6, 2024/3:57 pm IST

गोरखपुर, छह सितंबर (भाषा) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि जब प्रकृति और पर्यावरण को बचाकर विकास किया जाएगा, तभी वह सतत विकास होगा और लंबे समय तक उसका लाभ मिलता रहेगा।

उन्होंने वन विभाग को गोरखपुर में एक ‘फॉरेस्ट्री कॉलेज’ स्थापित करने का निर्देश दिया जहां वन से संबंधित पढ़ाई के लिए डिग्री और डिप्लोमा पाठ्यक्रम चलाए जाएं।

एक बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को गोरखपुर वन प्रभाग के कैम्पियरगंज रेंज के भारीवैसी में स्थापित जटायु राजगिद्ध (रेड हेडेड वल्चर) संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र का उद्घाटन करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जब विकास प्रकृति और पर्यावरण को बचाकर किया जाएगा, तभी वह सतत विकास होगा और लंबे समय तक उसका लाभ मिलेगा। प्रकृति और पर्यावरण की कीमत पर होने वाला विकास क्षणिक और खतरनाक होता है। इसके दूरगामी परिणाम होते हैं।”

मुख्यमंत्री ने इस केंद्र के निर्माण में योगदान देने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया।

गिद्धराज जटायु के रामायणकालीन आख्यान का स्मरण करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कीटनाशकों के दुष्प्रभाव से पर्यावरण के संरक्षक गिद्धों की संख्या तेजी से घटी है। उन्होंने कहा कि उनके संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश और भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का पहला संरक्षण केंद्र कैम्पियरगंज में खोला गया है। उन्होंने खुशी जतायी कि इस केंद्र में वनटांगिया समुदाय के लोग भी ‘केयरटेकर’ के रूप में नौकरी से जुड़े हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति और इसके जीवों को बचाने की जिम्मेदारी सबकी है।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आज हम जटायु संरक्षण केंद्र के माध्यम से अपनी वैदिक और पौराणिक परंपराओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे हैं।’’ गिद्धराज जटायु धर्म और नयी गरिमा की रक्षा के लिए रामायण काल के पहले बलिदानी थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने सीता जी के दुख भरे वचन को सुनकर ही जान लिया था कि यह आवाज रघुकुल तिलक श्रीराम की अर्धांगिनी का है। गिद्धराज जटायु राजा दशरथ के मित्र थे। मित्रता निभाने और नारी गरिमा की रक्षा के लिए वे निहत्थे ही रावण से भिड़ गए और खुद को बलिदान कर दिया।

उन्होंने कहा कि रामायण से हमें मित्रता, नारी गरिमा, मर्यादा, अनुशासन और वचन रक्षा की प्रेरणा मिलती है। आज के कालखंड में भी पर्यावरण की शुद्धि के लिए जो कार्य जटायु के वंशजों द्वारा किया जाता है, वह अविस्मरणीय है।

उन्होंने कहा कि जटायु के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए, रामायणकालीन उनकी स्मृतियों को बनाए रखने की खातिर अयोध्या में राम मंदिर के सामने गिद्धराज जटायु की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है और अब यह जटायु संरक्षण केंद्र भी उसी की कड़ी है।

योगी ने कहा, ‘‘सरकार प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए संकल्पित भाव से काम कर रही है। हमारे इन्हीं कार्यों की देन है कि आज उत्तर प्रदेश देश ही नहीं बल्कि दुनिया का ऐसा पहला राज्य है जिसने 7 वर्षों में 200 करोड़ के पौधारोपण के लक्ष्य को हासिल किया है।’’

इस अवसर पर वन, पर्यावरण एवं जंतु उद्यान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों जटायु संरक्षण केंद्र की सौगात मिली है।

उन्होंने कहा कि जटायु की महिमा और महत्व का वर्णन रामायण में मिलता है। उन्होंने कहा कि रामायण काल में माता सीता की रक्षा करने में बलिदान हुए जिस जटायु का अंतिम संस्कार प्रभु श्रीराम ने किया था आज उनकी वर्तमान और भावी पीढ़ी के संरक्षण का बीड़ा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उठाया है।

भाषा सं जफर

मनीषा अविनाश

अविनाश

 

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