वाराणसी (उप्र), 18 दिसंबर (भाषा) वाराणसी में चार दशकों से बंद पड़े एक मंदिर को लोगों द्वारा फिर से खुलवाने की मांग करने के बाद, जिला प्रशासन ने मंदिर के स्वामित्व के दस्तावेजों की तलाश शुरू कर दी है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
मामले की जांच के लिए जिला प्रशासन और पुलिस की एक टीम मंगलवार को मंदिर पहुंची।
अपर जिलाधिकारी (शहर) आलोक वर्मा ने कहा, ‘हमें इस मंदिर के बारे में समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला। अगले तीन-चार दिनों में हम इसकी जांच करेंगे। हमारे कानूनी सलाहकारों की टीम मंदिर के स्वामित्व की जांच कर रही है। अगर इसे सार्वजनिक संपत्ति घोषित किया जाता है तो मंदिर सभी के लिए खोल दिया जाएगा।’
काशी विद्वत परिषद की टीम यह जानने के लिए शास्त्रों का अध्ययन कर रही है कि दशकों से बंद पड़े मंदिर की स्थापना किसने की और इसकी प्राचीनता भी पता कर रही है।
काशी विद्वत परिषद के महासचिव प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने कहा, ‘हमारी टीम काशी के मदनपुरा क्षेत्र में बंद पड़े मंदिर की प्राचीनता और पौराणिक महत्व जानने के लिए पुराणों और प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन कर रही है।’
उन्होंने कहा, ‘हम इस पर भी मंथन कर रहे हैं कि अगर यह मंदिर बंद है तो इसे खोलने और फिर से पूजा शुरू करने का क्या तरीका है। हम कानूनी तरीकों से इस मंदिर के स्वामित्व का भी पता लगाएंगे। जैसे ही हमें मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी मिलेगी, हम प्रशासन से लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मंदिर को नियमित पूजा के लिए खोलने का अनुरोध करेंगे।’
पुलिस उपायुक्त (काशी जोन) गौरव बंसवाल ने कहा कि इस मंदिर के बारे में सभी जानते हैं और यह कई सालों से बंद है।
उन्होंने कहा,’स्थानीय लोगों के अनुसार, यह मंदिर करीब 40 वर्षों से बंद है। यह पता नहीं चल पाया है कि मंदिर के ताले की चाबी किसके पास है। अब कुछ संगठनों ने मंदिर का ताला खोलकर वहां पूजा शुरू करने की मांग की है। राजस्व और प्रशासन की टीमें वहां जांच कर रही हैं।’
बंसवाल ने कहा, ‘पुराने रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। जो भी कानूनी प्रक्रिया होगी, उसे लागू किया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को मंदिर खोले जाने पर कोई आपत्ति नहीं है।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से वहां पीएसी के जवान तैनात किए गए हैं और लगातार गश्त की जा रही है। सोमवार को मदनपुरा इलाके में करीब चार दशक से बंद पड़े मंदिर को खोलने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए। इस समूह का नेतृत्व सनातन रक्षा दल के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा कर रहे थे।
शर्मा ने कहा कि मंदिर को खोलने का प्रयास किसी विवाद या संघर्ष के कारण नहीं है।
शर्मा ने कहा, ‘मंदिर, जो अब मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय के लोगों के निवास वाले क्षेत्र में स्थित है, वर्षों से उपेक्षित रहा है। परिसर गंदगी और मलबे से भरा हुआ है।’
उन्होंने दावा किया कि आसपास की जमीन, जो कभी हिंदुओं के स्वामित्व में थी, मुस्लिम परिवारों ने खरीद ली, जिसके कारण समय के साथ मंदिर खाली हो गया।
शर्मा ने कहा, ‘मंदिर को फिर से खोलने को लेकर कोई विरोध या विवाद नहीं है। पुलिस ने अपना सहयोग बढ़ाया है और महापौर से भी चर्चा हुई है।
उन्होंने दावा किया कि स्थानीय अधिकारियों की देखरेख में मंदिर की सफाई जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है।
भाषा सं जफर पारुल नोमान
नोमान
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