लखनऊ, 10 नवंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने भ्रष्टाचार के आरोप में कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक के खिलाफ दर्ज मुकदमे को निरस्त करने का आग्रह करने वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
अदालत 15 नवंबर को निर्णय सुनाएगी।
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वी. के. सिंह की पीठ ने पाठक की याचिका पर यह फैसला सुरक्षित रखा है।
इससे पहले पीठ ने पाठक के वकील एलपी मिश्रा, राज्य सरकार के विशेष अधिवक्ता जे. एन. माथुर और शिकायतकर्ता के अधिवक्ता आई. बी. सिंह को सुना।
पाठक ने एक निजी कंपनी से 1.41 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में अपने खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने को चुनौती दी है। यह मुकदमा पिछले महीने लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में डेविड मारियो डेनिस नामक एक कारोबारी ने दर्ज कराया था।
पाठक की ओर से दलील दी गई है कि उन्हें अभियोजन की स्वीकृति के बगैर गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर, राज्य सरकार और शिकायतकर्ता ने दलील दी कि प्रथम दृष्टया यह मुकदमा गंभीर अपराध को उजागर करता है इसलिए इसे निरस्त नहीं किया जा सकता।
इससे पहले, इस मामले की सुनवाई एक नवंबर को की गई थी और अदालत को दो नवंबर को फैसला सुनाना था लेकिन निर्णय सुनाए जाने से पहले पाठक के वकील ने मामले में कुछ अन्य तथ्य रखने के लिए अदालत से कुछ और समय मांगा था जिसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई की तारीख 10 नवंबर तय की थी।
भाषा सं सलीम नोमान
नोमान
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