भ्रामक रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर एसपी एवं दो निरीक्षकों के खिलाफ कार्रवाई का अदालती निर्देश |

भ्रामक रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर एसपी एवं दो निरीक्षकों के खिलाफ कार्रवाई का अदालती निर्देश

भ्रामक रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर एसपी एवं दो निरीक्षकों के खिलाफ कार्रवाई का अदालती निर्देश

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Modified Date: March 21, 2025 / 04:07 PM IST
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Published Date: March 21, 2025 4:07 pm IST

शाहजहांपुर (उप्र), 21 मार्च (भाषा) फर्रुखाबाद जिले की एक विशेष अदालत ने 14 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ कथित सामूहिक बलात्कार के मामले में भ्रामक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को लेकर पुलिस अधीक्षक (एसपी) और दो पुलिस निरीक्षकों के खिलाफ किशोर न्‍याय बोर्ड को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

मामले की शुरुआत पिछले साल चार अक्टूबर को हुई, जब फर्रुखाबाद जिले के मऊ दरवाजा थाना क्षेत्र के एक गांव से 14 वर्षीय नाबालिग लड़की लापता हो गयी थी। शुरू में एक गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की गयी और आठ अक्टूबर को उसके लौटने पर, सामूहिक बलात्कार का आरोप जोड़ा गया। रिपोर्ट में 16 वर्षीय एक नाबालिग और एक अन्य व्यक्ति को शामिल किया गया।

लड़की के अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार शुक्ला ने बताया कि किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी के उसके समक्ष पेश होने पर पुलिस से रिपोर्ट मांगी। हालांकि, पुलिस ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें केवल नाबालिग पर अपहरण का आरोप लगाया गया, फलस्वरूप उसे जमानत मिल गयी। अन्य आरोपी रवींद्र उर्फ जितेंद्र को विशेष पॉक्सो न्यायालय ने जेल भेज दिया।

शुक्ला ने बताया कि पिछले साल 23 दिसंबर को पीड़िता के पिता ने किशोर न्यायालय में शिकायत की थी कि नाबालिग आरोपी न केवल अपहरण बल्कि सामूहिक दुष्कर्म का भी आरोपी है और पुलिस ने साक्ष्य छुपाए हैं, ऐसे में पुलिस कर्मियों को भी आरोपी बनाया जाना चाहिए।

शुक्ला का कहना है कि इसके बाद किशोर न्यायालय ने मामले की जांच के लिए पुलिस अधीक्षक को भेजा था। 30 दिन पूरे होने के बाद भी पुलिस अधीक्षक ने कोई रिपोर्ट पेश नहीं की। इसके बाद 25 दिसंबर को पीड़िता के पिता की मौत हो गई, तब पीड़िता की मां ने विशेष पॉक्सो न्यायालय में मामले की अपील की, जिसमें अदालत ने माना कि पुलिस ने साक्ष्य छुपाए हैं, इसलिए न्यायालय ने किशोर न्याय बोर्ड को पुलिस अधीक्षक और दो पुलिस निरीक्षकों के खिलाफ मुकदमा चलाने का निर्देश दिया ।

शुक्ला के मुताबिक नाबालिग आरोपी ने जमानत पर बाहर आने के बाद पीड़िता के परिवार को धमकाना शुरू कर दिया, जिसके बाद पुलिस अधीक्षक से शिकायत की गई, लेकिन उन्होंने कथित तौर पर कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई गई, लेकिन कथित तौर पर झूठी रिपोर्ट लगाकर उसे खारिज कर दिया गया।

शुक्ला ने कहा, ‘सुनवाई के बाद, पॉक्सो (यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) अदालत के विशेष न्यायाधीश राकेश कुमार सिंह ने बृहस्पतिवार को किशोर न्याय बोर्ड को निर्देश दिया कि वह पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी, तत्कालीन निरीक्षक कामता प्रसाद और वर्तमान निरीक्षक बलराज भाटी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 229 (न्यायिक कार्यवाही में झूठे साक्ष्य देना या गढ़ना) के तहत अदालत को गुमराह करने के लिए मुकदमा शुरू करे।’’

भाषा सं आनन्‍द राजकुमार

राजकुमार

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)