(जफर इरशाद)
लखनऊ, 15 सितंबर (भाषा) एक के बाद एक कई चुनावी असफलताओं के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अब अपनी खोई हुई सियासी जमीन को फिर से हासिल करने के लिए आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश के उपचुनावों पर ध्यान दे रही है। इस लक्ष्य को हासिल करने में पार्टी के युवा ‘राष्ट्रीय समन्वयक’ आकाश आनंद महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
बसपा प्रमुख मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने पिछले 10 महीनों में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। मायावती ने दिसंबर 2023 में उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी नामित किया था पर बाद में उन्हें ‘अपरिपक्व’ कहकर पद से हटा दिया, लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद उन्हें उनके पदों पर फिर से बहाल कर दिया गया।
फिलहाल 29 वर्षीय आकाश आनंद को शुक्रवार को जारी हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया गया है। सूची में उनका नाम मायावती और उनके पिता आनंद कुमार के ठीक बाद है।
हालांकि, सूत्रों ने कहा कि आकाश आनंद के हालिया भाषण लोकसभा चुनाव से पहले उनकी रैलियों में दिये गये भाषणों की तुलना में अधिक संतुलित पाए गए।
बसपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि हरियाणा चुनाव के बाद ‘आकाश भैया’ को उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव की भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। पाल ने कहा कि बहन जी (मायावती) ने अभी आकाश भैया को हरियाणा चुनाव में लगाया है।
आकाश आनंद की राजनीति में शुरुआत 2017 में हुई थी। वह 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने तेज तर्रार भाषणों से चर्चा में आये थे। इसके बाद उन पर असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगा और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। इसके बाद बसपा प्रमुख मायावती ने मई माह उन्हें अपरिपक्व बताकर अपने उत्तराधिकारी और राष्ट्रीय समन्वयक के पद से हटा दिया था।
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद करीब डेढ़ महीने बाद पार्टी की पहली समीक्षा बैठक में मायावती ने पहला फैसला भतीजे आकाश आनंद को अपना एकमात्र राजनीतिक उत्तराधिकारी और पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक फिर से नियुक्त करने का लिया था। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से उन्हें (आकाश आनंद) पहले से अधिक सम्मान देने का आग्रह किया था।
दलित चिंतक और लखनऊ विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रोफसर रविकांत ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘लोकसभा चुनाव के बीच में आकाश को सक्रिय राजनीति से हटाये जाने के मायावती के फैसले से पार्टी से जुड़े युवाओं को काफी निराशा हुई। आकाश के बगावती तेवर और उनके द्वारा भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर सीधा हमला युवाओं के मन को भा रहा था। इस पर अचानक रोक लगाये जाने से युवाओं को काफी निराशा हुई और इसका खामियाजा पार्टी को लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ा।’’
उन्होंने कहा कि आकाश पर रोक लगाये जाने से युवाओं के बीच यह संदेश गया कि पार्टी भाजपा और संघ से दबती है। इसका आकलन बसपा नेतृत्व ने जल्दी ही कर लिया और डेढ़ महीने के अंदर आकाश की पार्टी में ससम्मान वापसी हो गई।
रविकांत कहते हैं कि अब आकाश को युवाओं का साथ एक बार फिर से प्राप्त करने के लिये काफी मेहनत करनी पड़ेगी और युवाओं की पार्टी में वापसी का असर अभी नहीं, लेकिन 2027 के उप्र विधानसभा चुनाव में जरूर नजर आयेगा।
आकाश आनंद ने लंदन से एमबीए की शिक्षा हासिल की है और उनका विवाह पार्टी के एक पदाधिकारी की डॉक्टर बेटी से 2023 में हुआ था।
इस साल की शुरूआत में आकाश ने पार्टी से युवाओं को जोड़ने के लिये एक टेलीफोन नंबर जारी किया था जिसमें ‘मिस कॉल’ देकर युवा पार्टी से जुड़ सकते हैं। इस अभियान का शीर्षक था,‘‘मेरे साथ चलें, बीएसपी से जुड़े।’’
आकाश ने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर कई ऐसी तस्वीरें पोस्ट कीं जिसमें वह प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के युवा छात्रों से मिलते दिखाई दे रहे हैं।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में आगरा के कोठी मीना बाजार मैदान में आकाश आनंद ने पहली रैली को संबोधित किया था। इस रैली मे बसपा प्रमुख मायावती शामिल नहीं हुई थीं, लेकिन रैली के मंच पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव, रालोद मुखिया अजित सिंह और बसपा महासचिव सतीश मिश्रा मौजूद थे।
इस रैली में मायावती के स्थान पर आकाश के संबोधन से उनके कद में काफी इजाफा हुआ और तभी से माना जाने लगा कि आकाश ही मायावती के उत्तराधिकारी होंगे।
राजस्थान विधानसभा चुनाव के पहले आकाश आनंद ने ‘सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय संकल्प यात्रा’ भी निकाली थी। यह पदयात्रा राजस्थान के कई विधानसभा इलाकों से गुजरी थी। इस यात्रा को बहुजन अधिकार यात्रा भी कहा गया था।
बसपा में ‘रोड शो’ या फिर ‘पद यात्रा’ करने की परंपरा नहीं थी,बसपा अध्यक्ष मायावती आमतौर पर बड़ी चुनावी रैलियां करती हैं जिसमें सारा जोर भीड़ जुटाने पर होता है। लेकिन आकाश आनंद ने रोड शो निकालकर एक नयी परंपरा की शुरुआत की।
आकाश आनंद को पहली बार 2019 में बसपा का राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया गया था। पिछले साल दिसंबर में उन्हें मायावती ने अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए इनेलो और बसपा के बीच जुलाई में गठबंधन हुआ था, इसके अनुसार प्रदेश की 90 विधानसभा सीट में से इनेलो 53 सीट पर और बसपा 37 सीट पर लड़ रही है। इनेलो-बसपा गठबंधन की तरफ से अभय चौटाला को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया गया है। हरियाणा विधानसभा का चुनाव पांच अक्टूबर को है।
पार्टी के नजदीकी सूत्रों का कहना हैं कि पार्टी अध्यक्ष मायावती ने हरियाणा विधानसभा चुनावों की पूरी कमान आकाश आनंद को सौंप दी है। आकाश अब तक हरियाणा में एक दर्जन से अधिक जनसभाएं कर चुके हैं। यहीं नहीं इनेलो के साथ गठबंधन करने में भी मायावती ने आकाश को आगे रखा था।
पार्टी के करीबी सूत्रों का कहना हैं कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में आकाश ने फिर से चुनावी रैलियों की शुरुआत कर दी है। उनकी चुनावी रैलियों में उनके भाषण पहले की तरह युवाओं पर ही केंद्रित हैं। वह विभिन्न परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक का मुद्दा उठा रहे हैं, शिक्षा और रोजगार की बात कर रहें हैं। वह युवाओं से पूछ रहे हैं कि क्या उनको ऐसी सरकार चाहिए जो रोजगार और शिक्षा नहीं दे सके? क्या उन्हें ऐसी सरकार चाहिए जो आरक्षण को खत्म कर दे?
पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि देर से ही सही लेकिन आकाश आनंद को दोबारा जिम्मेदारी मिलने से पार्टी में नई जान आ गयी है।
बसपा प्रदेश अध्यक्ष पाल ने दावा किया,‘‘ वर्ष 2027 में 2007 की तर्ज पर बिना किसी से गठबंधन के हम उप्र में फिर से सरकार बनायेंगे। 2027 में उप्र विधानसभा का चुनाव अकेले लड़ेंगे, वर्ष 2007 की तर्ज पर लड़ेंगे और बहन जी को देश के सबसे बड़े प्रदेश का मुख्यमंत्री बनायेंगे। 2007 में हमने (बसपा ) किसी भी दल से गठबंधन नहीं किया था और हमने 206 सीट जीती थीं।’’
बसपा ने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में उप्र की सभी 80 सीट पर अकेले चुनाव लड़ा था लेकिन उसका खाता तक नहीं खुला। इसी तरह 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 403 सीट पर अकेले चुनाव लड़ा और केवल एक सीट पर जीत हासिल कर सकी, जबकि 287 सीट पर पार्टी की जमानत जब्त हो गयी थी।
उत्तर प्रदेश की करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर मीरापुर, फूलपुर, मझवा और सीसामऊ विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होना है। अभी उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित नहीं किया गया है।
सीसामऊ सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी को अदालत द्वारा सजा सुनाये जाने के चलते उनकी सदस्यता रद्द होने से रिक्त हुई है। बाकी सीट पर सम्बन्धित विधायकों के लोकसभा के लिये चुने जाने के कारण उपचुनाव जरूरी हो गया है।
भाषा जफर मनीष नरेश संतोष
संतोष
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