भोले बाबा मैनपुरी के आश्रम में मौजूद नहीं : पुलिस |

भोले बाबा मैनपुरी के आश्रम में मौजूद नहीं : पुलिस

भोले बाबा मैनपुरी के आश्रम में मौजूद नहीं : पुलिस

:   Modified Date:  July 4, 2024 / 12:45 PM IST, Published Date : July 4, 2024/12:45 pm IST

( तस्वीर सहित )

मैनपुरी (उप्र), चार जुलाई (भाषा) हाथरस भगदड़ मामले में उपदेशक हरिनारायण साकार उर्फ भोले बाबा की भूमिका को लेकर उठ रहे सवालों के बीच पुलिस ने बाबा के मैनपुरी स्थित आश्रम में उसके मौजूद नहीं होने का दावा किया है।

सूत्रों के मुताबिक, मैनपुरी के बिछवां कस्बे में स्थित भोले बाबा के आश्रम में बुधवार रात पुलिस दाखिल हुई थी। मगर इस बारे में कोई भी पुलिस अफसर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

पुलिस क्षेत्राधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस और स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसपीजी) के लोग आश्रम परिसर में गये थे लेकिन उनकी ड्यूटी आश्रम के अंदर नहीं बल्कि ‘बाहर’ थी। उन्होंने कहा, ”50-60 सेवादार आश्रम के अंदर मौजूद हैं। इनमें महिला और पुरुष दोनों हैं।”

इस सवाल पर कि क्या बाबा अपने आश्रम में मौजूद हैं, सिंह ने कहा, ”वह ना कल थे, ना आज हैं।”

मैनपुरी में तैनात अपर पुलिस अधीक्षक राहुल मिठास ने भी संवाददाताओं से कहा कि उन्हें बाबा अपने आश्रम में नहीं दिखायी दिये। इस सवाल पर कि वह आश्रम क्यों गये थे, उन्होंने कहा, ”मैं यहां तफ्तीश करने नहीं बल्कि सुरक्षा की जांच करने आया हूं।”

हाथरस में भगदड़ कांड के बाद से बिछवां स्थित विश्व हरि बाबा भोलेनाथ के आश्रम में सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है।

हाथरस जिले के फुलरई गांव में गत मंगलवार को नारायण साकार विश्व हरि के नाम से चर्चित भोले बाबा के कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की भीड़ थी। सत्संग खत्म होने के बाद बाबा की ‘चरण धूलि’ लेने के लिये बड़ी संख्या में लोगों के आगे बढ़ने के दौरान मची भगदड़ में 121 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। घटना में 31 अन्य घायल हो गये हैं।

पुलिस ने इस मामले में मुख्य सेवादार और उसके अन्य सहयोगियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या तथा अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज किया है। इस मामले में भोले बाबा की भूमिका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को हाथरस पहुंचकर हादसे में घायल लोगों से अस्पताल में मुलाकात की और घटनास्थल का जायजा भी लिया।

संवाददाताओं ने उनसे पूछा कि मुकदमे में भोले बाबा को अभियुक्त क्यों नहीं बनाया गया ? इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, ”जिन लोगों ने कार्यक्रम के लिए अनुमति का आवेदन दिया था, प्रथम दृष्ट्या पहले मुकदमा उनके खिलाफ होता है। उसके बाद फिर उसका दायरा बढ़ता है। जो भी लोग इसके लिए जिम्मेदार होंगे, वे इसके दायरे में आएंगे।”

मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस मामले की न्यायिक जांच के लिये बुधवार को तीन सदस्यीय आयोग गठित किया गया है जो दो महीने में जांच पूरी करके रिपोर्ट देगा। इस आयोग की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव करेंगे। आयोग के दो अन्य सदस्यों में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हेमंत राव और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी भावेश कुमार सिंह शामिल हैं।

भाषा सलीम मनीषा

मनीषा

 

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