Fatwa on New Year Celebration | नए साल के खिलाफ फतवा जारी

Mufti Shahabuddin Razvi Fatwa: मुस्लिम समाज भी नहीं मनाएगा अंग्रेजी नया साल?.. जारी हुआ फतवा, बताया गया ‘शरीयत और इस्लाम के खिलाफ’..

इस मुद्दे पर मुस्लिम समाज में विभिन्न प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। हालांकि, बहस का मुख्य केंद्र इस्लामिक परंपराओं और आधुनिक समाज के बीच संतुलन बनाए रखने का है।

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Modified Date: December 29, 2024 / 08:13 PM IST
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Published Date: December 29, 2024 8:12 pm IST

Mufti Shahabuddin Razvi Fatwa on New Year Celebration: नई दिल्ली: साल 2024 के अंत और 2025 के आगमन के बीच जब नए साल के जश्न की तैयारियाँ जोरों पर हैं, वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुस्लिम समुदाय से नया साल न मनाने की अपील की है। उन्होंने इस संदर्भ में एक फतवा जारी करते हुए इसे इस्लाम के खिलाफ और गैर-शरई बताया है।

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मौलाना शहाबुद्दीन का बयान

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने स्पष्ट रूप से कहा कि नए साल का जश्न मनाना, शुभकामनाएं देना, और आयोजन करना इस्लाम के अनुसार पूरी तरह से नाजायज है। उन्होंने इसे ईसाइयों का त्योहार बताते हुए कहा कि मुसलमानों को इसमें भाग नहीं लेना चाहिए। उनका कहना था कि इस्लाम में नाच-गाना और इस प्रकार के उत्सवों का आयोजन हराम है, और शरीयत के मुताबिक यह अपराध माना जाता है।

नए साल के उत्सवों पर आपत्ति

Mufti Shahabuddin Razvi Fatwa on New Year Celebration: मौलाना के अनुसार, जनवरी माह से शुरू होने वाला नया साल एक गैर-मुस्लिम धार्मिक पर्व है, जिसका पालन इस्लामी शरीयत के खिलाफ है। उन्होंने मुसलमानों से आग्रह किया कि वे इस तरह के आयोजनों से दूर रहें, क्योंकि शरीयत इस प्रकार की गतिविधियों को सख्ती से मना करती है।

मौलाना शहाबुद्दीन के इस फतवे पर प्रतिक्रिया देते हुए सूफी फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कशिश वारसी ने इसे “फतवा फैक्ट्री” करार दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के फतवे केवल मुसलमानों को रोकने और उनके बीच असहमति पैदा करने का काम करते हैं। वारसी ने यह भी कहा कि नए साल का जश्न मिल-जुलकर मनाने से कौमी एकता को बढ़ावा मिलता है और यह समाज में भाईचारे का संदेश देता है।

कौमी एकता का संदेश

Mufti Shahabuddin Razvi Fatwa on New Year Celebration: वारसी ने यह भी स्पष्ट किया कि इस्लामिक कैलेंडर के मोहर्रम माह में जिसे ग़म का महीना माना जाता है, उसे कुछ लोग नया साल मानते हैं। इसके बावजूद, जहां एक ओर खुशी और भाईचारे का संदेश दिया जाता है, वहीं उसे हराम घोषित किया जा रहा है। उनका कहना था कि इस तरह के कदम समाज में विभाजन पैदा करते हैं, जबकि हमें एकता का संदेश देना चाहिए।

मुस्लिम युवाओं को संदेश

मौलाना शहाबुद्दीन ने मुस्लिम युवाओं को सलाह दी है कि वे शरीयत के खिलाफ कोई कार्य न करें और गुनाहगार बनने से बचें। उनका कहना था कि शरीयत के अनुसार जीवन जीना हर मुसलमान की जिम्मेदारी है, और उन्हें इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

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समाज में प्रतिक्रिया और विचार

Mufti Shahabuddin Razvi Fatwa on New Year Celebration: इस मुद्दे पर मुस्लिम समाज में विभिन्न प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। हालांकि, बहस का मुख्य केंद्र इस्लामिक परंपराओं और आधुनिक समाज के बीच संतुलन बनाए रखने का है।

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