सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम में महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया गया है और वे अब कुछ नियम-शर्तों के साथ इस संस्थान में प्रवेश कर सकेंगी। दारुल उलूम में मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी ने यह जानकारी दी।
मई 2024 में महिलाओं के प्रवेश पर लगी थी रोक
उस्मानी ने बताया कि गत 17 मई को दारुल उलूम के प्रबंधतंत्र ने दारुल उलूम परिसर में रील बनाकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल करने की शिकायत के चलते यहां महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। उस्मानी ने बताया कि दारुल उलूम प्रबंधतंत्र ने कई दौर की वार्ता के बाद देश-विदेश से आने वाली महिलाओं के दारुल उलूम में प्रवेश को लेकर एक नियमावली तैयार की गयी है जिसका पालन करते हुए महिलाओं का प्रवेश दिया जाएगा। संस्थान में प्रवेश करने से संबंधित यह नियमावली शुक्रवार शाम से लागू कर दी गयी है। उस्मानी के अनुसार, अब दारुल उलूम प्रबंधन ने संस्थान के परिसर में प्रवेश के लिये आगंतुक (विजिटर) पास जारी करने के लिये एक अधिकारी को नियुक्त किया है।
विजिटर पास से मिलेगी एंट्री
विजिटर पास में आधार कार्ड या वोटर कार्ड या पैन कार्ड फॉर्म संबंधित अधिकारी को दिखाना होगा । फॉर्म के एक कॉलम में विजिटर का नाम, मोबाइल नंबर, पता, घूमने आए सदस्यों (महिला और पुरुष) की संख्या आदि का ब्योरा देना होगा। महिलाओं को संस्था के अंदर प्रवेश करने की इजाजत दिन खत्म होने से पहले यानी सूर्यास्त तक की होगी। मदरसे में प्रवेश करने वाली सभी महिलाओं को हिजाब में रहना होगा। महिलाओं को उनके किसी परिवार के सदस्य के साथ ही प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। मदरसे में घूमने आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का मोबाइल फोन मुख्य द्वार पर जमा करा लिया जाएगा, जो उसे वापस जाने के समय मिलेगा।
दो घंटे की होगी वैधता
उस्मानी ने बताया कि ‘विजिटर पास’ की वैधता दो घंटे की होगी। साथ ही सूर्यास्त के बाद विजिटर पास स्वतः निरस्त हो जायेगा। संस्था के भीतर किसी तरह की वीडियोग्राफी पर पूरी तरह से रोक रहेगी। गौरतलब है कि दारुल उलूम प्रबंधन ने 17 मई 2024 को यहां बाहरी महिलाओं के प्रवेश पर इसलिये रोक लगा दी थी बाहर से आने वाली महिलाएं बेपर्दा घूमती थीं। इसके अलावा वे संस्था की ऐतिहासिक इमारतों के सामने बिना हिजाब मोबाइल से फोटो खिंचवा रही थीं जिसे रील बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा था। मीडिया प्रभारी के अनुसार, इससे यहां मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों की पढाई भी प्रभावित हो रही थी ।