लखनऊ, 19 नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दावा किया है कि विमान का विचार राइट बंधुओं ने नहीं बल्कि वैदिक काल के ऋषि भारद्वाज ने प्रस्तुत किया था।
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ के नवम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए छात्रों को अपने पूर्वजों द्वारा किए गए अद्वितीय अनुसंधान और खोज की सराहना करने के लिए प्राचीन भारतीय ग्रंथों का अध्ययन करने को कहा।
राजभवन की ओर से जारी बयान के अनुसार, अपने संबोधन में पटेल ने भारतीय संस्कृति और प्राचीन ज्ञान की समृद्ध विरासत पर प्रकाश डाला।
उन्होंने अपने संबोधन में भारतीय संस्कृति और ज्ञान की विरासत का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने कई शोध और आविष्कार किए हैं, जिनका लाभ आज दुनिया उठा रही है।
राज्यपाल ने ऋषि भारद्वाज का उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘उन्होंने (ऋषि भारद्वाज ने) विमान की परिकल्पना की थी लेकिन इसका श्रेय अन्य देश को मिल गया और अब इसे राइट ब्रदर्स का आविष्कार माना जाता है।’’
वैदिक युग के प्रमुख ‘ऋषि’ भारद्वाज का उल्लेख हिंदू महाकाव्यों रामायण और महाभारत दोनों में मिलता है।
ऑरविल राइट और विल्बर राइट – जिन्हें राइट ब्रदर्स के नाम से जाना जाता है, को 17 दिसंबर, 1903 को अमेरिका के उत्तरी कैरोलाइना में पहला स्व-चालित विमान उड़ाने का श्रेय दिया जाता है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ नेता यह तर्क देते रहे हैं कि उड़ने वाली इस मशीन की अवधारणा रामायण के ‘पुष्पक विमान’ से प्रेरित है।
दिलचस्प बात यह है कि 102वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान प्रस्तुत एक शोध पत्र में दावा किया गया था कि शिवकर बापूजी तलपड़े ने राइट बंधुओं से आठ साल पहले 1895 में चौपाटी के ऊपर एक उड़ने वाली मशीन उड़ाई थी।
पायलट प्रशिक्षण संस्थान के सेवानिवृत्त प्राचार्य द्वारा प्रस्तुत इस शोध पत्र की कुछ वैज्ञानिकों ने तीखी आलोचना की थी, जिनका तर्क था कि यह शोध पत्र अनुभवसिद्ध साक्ष्य की प्रधानता को कमजोर करता है, जो 102 वर्ष पुरानी कांग्रेस की नींव रही है।
राज्यपाल पटेल ने सोमवार को दीक्षांत समारोह में कहा कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में ऐसे अनगिनत ज्ञान छिपे हुए हैं, जिन्हें विद्यार्थियों को पढ़ने और समझने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि विद्यार्थियों को हमारी प्राचीन पुस्तकों के अध्ययन के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि उन्हें यह समझ में आ सके कि हमारे पूर्वजों ने कितना अद्वितीय शोध और आविष्कार किया था, क्योंकि ये पुस्तकें ज्ञान का भंडार हैं।
कुलाधिपति ने रामपुर रजा लाइब्रेरी का जिक्र करते हुए कहा कि इस लाइब्रेरी में प्राचीन पुस्तकों का अनमोल संग्रह है, जिनमें ऐसे चित्रांकन हैं, जो आज भी ज्यों के त्यों हैं। उन्होंने कहा कि इन चित्रों में प्रयुक्त रंगों का निर्माण वनस्पतियों के माध्यम से किया गया था, जो आज भी खराब नहीं हुए हैं।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि इन पुस्तकों का अध्ययन कराया जाए और उनका अनुवाद विभिन्न भाषाओं में किया जाए, ताकि यह ज्ञान सभी तक पहुंचे।
उन्होंने कहा कि बुद्ध की धरती भारत ने हमेशा युद्ध के बजाय शांति को चुना है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश आज शिक्षा और शोध के क्षेत्र में नयी ऊंचाइयों को छू रहा है।
उन्होंने कहा कि 140 करोड़ की आबादी वाले इस देश का प्रधानमंत्री कुशलता से मार्गदर्शन कर रहे हैं और उनकी नीति से आज भारत को पूरे विश्व में अलग पहचान मिल रही है।
राज्यपाल ने वर्तमान बजट में शिक्षा के लिए आवंटित बड़ी राशि का उल्लेख करते हुए विश्वविद्यालयों को इस दिशा में परियोजना बनाने और विद्यार्थियों को इसका लाभ पहुंचाने का निर्देश दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) और राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में स्थान मिलना दर्शाता है कि ‘‘कड़ी मेहनत से और भी बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।’’
भाषा जफर सुरभि नरेश
नरेश
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