मथुरा (उप्र), 23 जनवरी (भाषा) नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि भारत में सात करोड़ दृष्टिहीन लोगों में से 80 प्रतिशत को अगर समय पर बेहतर इलाज मिल जाता तो उन्हें अपनी आंखों की रोशनी न गंवानी पड़ती।
सत्यार्थी ने मथुरा-गोवर्धन मार्ग पर स्थित ‘कल्याणं करोति नेत्र संस्थान’ के लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ”भारत में सात करोड़ दृष्टिहीन लोगों में से 80 प्रतिशत को अपनी दृष्टि न गंवानी पड़ती, अगर उन्हें समय पर उचित उपचार मिल जाता। वे बेहतर चिकित्सा सुविधा मिलने पर दुनिया देखने में सक्षम हो सकते थे।”
उन्होंने कहा कि भारत में नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में उन्नत एवं आधुनिक सेवाओं की बहुत जरूरत है। उनके मुताबिक, हालांकि एक अच्छी बात है कि अनेक सामाजिक संगठन सरकार से भी आगे बढ़कर इस दिशा में कार्य कर रहे हैं।
सत्यार्थी ने कहा, “उनमें भारतीय लोगों की भी तादाद अच्छी-खासी है। वे कई गरीब देशों में चिकित्सा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। असल में, यह चीज हमारे संस्कार में हैं।”
उन्होंने कहा, “भलाई के कार्य करते समय हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हमारे अंदर अहंकार एवं किसी भी प्रकार की अपेक्षा का भाव नहीं आना चाहिए। यही भारतीय दर्शन का संदेश है।”
वर्ष 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजे गये सत्यार्थी ने कहा, ”संयुक्त राष्ट्र की सतत विकास लक्ष्य संबंधी एक बैठक में शामिल होने के मौके पर मैंने जाना कि उनका ध्येय वाक्य भी यही है ‘नो वन लेफ्ट आउट, नो वन लेफ्ट बिहाइंड। यानि ‘सभी को साथ लेकर चलो, कोई भी अलग न हो, कोई भी पीछे न छूटे।”
उन्होंने यजुर्वेद के एक श्लोक का उदाहरण देते हुए कहा, ”यही बात हमारे ऋषियों ने हजारों वर्ष पहले कह दी थी जिस पर आज दुनिया चलने का प्रयास कर रही है।”
भाषा सं. सलीम नोमान
नोमान
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)