Villagers forced to drink dirty water सतना के आदिवासी बाहुल्य गांव जहां ग्रामीण खेत के एक गड्ढे में इकट्ठा हुए पानी की बदौलत इन दिनों जिंदा है। बारिश में गंदगी के साथ बहकर आया यह पानी गंदा और बदबूदार है, लेकिन मजबूरी भी ऐसी है कि इस पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाने के अलावा कोई दूसरा चारा दिखाई नहीं पड़ता। लोग बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन शिकायतों के बाद शासन प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। सतना जिले के रैगांव विधानसभा छेत्र की यह तस्वीर बेहद अमानवीय है। तस्वीरें आदिवासी बाहुल्य बोरा गांव की हैं। जहाँ 60 से जादा आदिवासी परिवार अपना जीवन यापन कर रहे हैं। गांव में 300 के करीब आबादी रहती है।
सतना जिले से तकरीबन 50 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव की हकीकत उन तमाम सरकारी दावों की पोल खोल रही है जो सरकारी कागजों और नेताओं के मंच से बोली जाती है। बारिश के इन दिनों में भी गांव वालों को पीने का पानी नसीब में नहीं है। गांव में दो सरकारी बोरवेल है लेकिन पिछले दो माह से गांव में लाइट नहीं आई,जिसके कारण बोरवेल ठप पड़े हैं। लिहाजा गांव वाले दूसरा पानी पीने को मजबूर है।
Villagers forced to drink dirty water हालांकि गांव के ऐसे हालात आज के नहीं बल्कि वर्षों पुराने हैं। गर्मी के दिनों में कई किलोमीटर का सफर करके इन्हें पानी नसीब होता है। गांव के बगल में एक खेत है जहां बारिश का पानी भरकर इकट्ठा होता है। इस गड्ढे में जानवर भी पानी पीते हैं, और इस गांव में रहने वाले इंसान भी। ग्रामीणों की माने तो इस दूषित पानी को पीकर उनके बच्चे बुजुर्ग बीमार पड़ रहे हैं। लेकिन उनकी मजबूरी ही है कि उन्हें यह पानी पीना पड़ रहा। ऐसा नहीं की शासन प्रशासन को इस समस्या से अवगत नहीं कराया गया। गांव के मुखिया का कहना है कि कई बार शिकायतें की गई सीएम हेल्पलाइन में भी सूचना दी गई, लेकिन मामला वैसा ही रहा, हालात जस के तस हैं।
PM Modi Mann Ki Baat : बस्तर ओलंपिक से नई…
3 hours agoPM Modi Mann Ki Baat: बस्तर Olympic का सपना हुआ…
4 hours ago