श्रीनगर। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जम्मू-कश्मीर के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण पुरस्कार का ऐलान किया गया है। गुलाम नबी आजाद की गिनती कांग्रेस के मुखर नेताओं में है। हाल के दिनों में उनकी कांग्रेस से दूरी साफ नजर आती है। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी भी संसद में खुलकर उनकी प्रशंसा कर चुके हैं। गुलाम नबी आजाद को ऐसे वक्त में ये नागरिक अवॉर्ड मिल रहा है, जब जम्मू-कश्मीर में चुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं।
गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के जी-23 के नेता हैं। यह कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं का एक समूह है। यह ग्रुप कांग्रेस नेतृत्व शैली और रणनीति में बदलाव की मांग कर रहा है। आजाद इस बात पर अफसोस जताते रहे हैं कि असहमति और पार्टी के संचालन में खामियों को इन दिनों नेतृत्व एक तरह से विद्रोह के रूप में देख रहा है। वह कहते हैं कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय में ऐसा नहीं था।
370 पर बयान और कांग्रेस से बगावत की अटकलें
गुलाम नबी आजाद के बयान से कांग्रेस में बगावत की अटकलें तेज हो गई थीं। दिसंबर 2021 में जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एक जनसभा में कहा, ‘कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव में 300 से अधिक सीटें आती नहीं दिखाई पड़ रही हैं। कुछ लोग दावे कर रहे हैं, लेकिन ऐसा मुझे होता नहीं दिख रहा है।’
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दरअसल इशारों-इशारों में आजाद ने बड़ी बात कह दी थी। वे बीजेपी सरकार की ओर से 5 अगस्त 2019 को हटाए गए धारा 370 और 35ए पर अपनी बात रख रहे थे। आजाद ने कहा, ‘कुछ लोग धारा 370 को बहाल करने की बात कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए कांग्रेस को 300 से ज्यादा सीटें आनी चाहिए। अगले लोकसभा चुनाव में ऐसा होता हमें नहीं दिख रहा है।’
हाल ही में आजाद ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था, ‘राजनीति में आगे क्या होगा यह कोई नहीं कह सकता। जैसे कोई नहीं जानता कि उसकी मृत्यु कब होगी। राजनीति में आगे क्या होगा इसकी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता, लेकिन पार्टी बनाने का मेरा कोई इरादा नहीं है।’
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