मास्को: रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बीच भारत ने ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारत और रूस ने तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की भविष्य की बिजली उत्पादन इकाइयों के निर्माण से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण समझौतों पर मंगलवार को हस्ताक्षर किए है। परमाणु ऊर्जा के अलावा बैठक में औषधि, फार्मास्युटिकल पदार्थ और चिकित्सीय उपकरणों के समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए।
अपने समकक्षों के साथ हुए बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा “सबसे पहले मुझे प्रधान मंत्री मोदी की व्यक्तिगत शुभकामनाएं व्यक्त करने की अनुमति दें। मैं इस अवसर का उपयोग आपके साथ हमारी प्रगति के पहलुओं को साझा करने के लिए भी करना चाहूंगा।” उन्होंनेइस बात पर खशी जाहिर किया कि पिछले दो दिनों में रूस के उप प्रधान मंत्री और उद्योग और व्यापार मंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ और आज रूस के एफएम सर्गेई लावरोव के साथचर्चा करने का मौका मिला। व्यापार में हमने जो प्रगति की है, उस पर प्रकाश डालना चाहूंगा। जो कि 50 बिलियन डॉलर के टर्नओवर से अधिक है। हमारा मानना है कि यह कुछ ऐसा है, जिसकी क्षमता अब केवल दिखाई देने लगी है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इसे और अधिक टिकाऊ चरित्र दें। हमने चर्चा की कि हमें कैसे करना चाहिए वह। दूसरा पहलू परमाणु पक्ष से संबंधित है और, हमने कल समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जो कुडनकुलम परियोजना को आगे ले जाएंगे।”
#WATCH | External Affairs Minister Dr S Jaishankar says, “First of all, please allow me to convey the personal greetings of Prime Minister Modi…I would also, extensive like to take the opportunity to share with you, aspects of the progress that we have made and in the last two… pic.twitter.com/R5jNOe1CVM
— ANI (@ANI) December 27, 2023
रूस की सरकारी मीडिया के अनुसार, कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र रूस की तकनीकी सहायता से तमिलनाडु में बनाया जा रहा है। इसका निर्माण मार्च 2002 में शुरू हुआ था। फरवरी 2016 के बाद से कुडनकुलन परमाणु ऊर्जा संयंत्र की पहली ऊर्जा इकाई लगातार काम कर रही है, इसकी डिजाइन क्षमता 1,000 मेगावाट की है. संयंत्र के 2027 में पूरी क्षमता के साथ काम शुरू करने की उम्मीद है।
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