भुवनेश्वर: सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिरीक्षक धीरेंद्र कुमार ने नक्सल उन्मूलन अभियान को लेकर न्यूज एजेंसी एएनआई से विस्तार से बातचीत की। ओडिशा में नक्सलवाद को खत्म करने के लगातार प्रयासों और प्रगति पर चर्चा करते हुए, उन्होंने अगले डेढ़ साल के भीतर इस खतरे को खत्म करने का का भरोसा दिया हैं। उन्होंने बताया हैं कि कोरापुट में अपना काम पूरा करने के बाद राज्य सरकार ने कोरापुट से बीएसएफ को हटा दिया और अब ओडिशा में कालाहांडी और कंडामल में बचे हुए नक्सलियों से निपटने के लिए, कंडामल में बीएसएफ की 2 बटालियन शामिल की गई हैं। बीएसएफ आईजी धीरेंद्र कुमार ने कहा हैं कि, अगले डेढ़-दो वर्षों में यह खतरा खत्म हो जाएगा”
2019 और 2023 के वर्गीकरण की तुलना करते हुए, कुमार ने एक उल्लेखनीय सुधार के बारें में बताया हैं। वर्ष 2023 में 10 जिले प्रभावित हैं और उनमें से केवल 2 जिले गंभीर रूप से प्रभावित हैं, जो कंधमाल और कालाहांडी हैं। मलकानगिरी भी पहले गंभीर रूप से प्रभावित था, लेकिन अब यह लगभग नक्सल मुक्त है। इसलिए स्थिति में दिन-ब-दिन सुधार हो रहा है और अब मुख्य क्षेत्र केवल कंधमाल और कालाहांडी है, बाकी क्षेत्र लगभग सामान्य स्थिति में है”
कुमार ने बताया, शुरुआत में कोरापुट और मलकानगिरी पर ध्यान केंद्रित किया। “जब 2010 में बीएसएफ की तैनाती हुई तब सबसे बुरी तरह प्रभावित जिलों में कोरापुट और मलकानगिरी शामिल थे, इसलिए उन्हें नक्सल मुक्त बनाने में समय लगा। कोरापुट में अपना काम पूरा करने के बाद राज्य सरकार ने कोरापुट से बीएसएफ को हटा दिया और अब शेष बचे लोगों के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। ओडिशा में जो कालाहांडी और कंडामल में नक्सली हैं, कंडामल में बीएसएफ की 2 बटालियन शामिल की गई हैं।
उन्होंने बताया कि फ़िलहाल ओडिशा में कुल 48 शिविर हैं और चूंकि हम कंधमाल में प्रवेश कर रहे हैं। हमने तीन नए शिविर खोले हैं और एक नया शिविर बौध जिले में खुलने वाला है। ये शिविर भीतरी इलाकों या राजमार्गों पर नहीं हैं, वे बिल्कुल दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में हैं जहां राज्य मशीनरी और सरकारी तंत्र पहुंचने में सक्षम नहीं हैं। इसके साथ ही हम एक विकास कार्यक्रम और सामाजिक सेवा योजना चला रहे हैं” बीएसएफ आईजी धीरेंद्र कुमार ने बताया हैं कि आगामी 2024 चुनावों को ध्यान में रखते हुए बीएसएफ ने ओडिशा में 35 कंपनियां तैनात की हैं।