liquor shops will be closed from October 1 : नई दिल्ली। नई आबकारी नीति लागू होने के बाद 1 अक्टूबर से शराब की सभी प्राइवेट दुकानें बंद हो जाएंगी। दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के तहत 266 प्राइवेट शराब की दुकानों सहित सभी 850 शराब की दुकानें टेंडर के जरिए निजी कंपनियों को दे दी गई हैं।
पढ़ें- देश में कोरोना के 23,529 नए केस, 311 की मौत.. लगातार घट रही सक्रिय मरीजों की संख्या
नए लाइसेंस धारक शराब की खुदरा बिक्री 17 नवंबर से शुरू करेंगे. हालांकि, इस दौरान राज्य सरकार द्वारा संचालित शराब की दुकानें खुली रहेंगी, जो 16 नवंबर के बाद बंद हो जाएंगी।
पढ़ें- अवैध तरीके से शराब बेचने वाले 3 बारों पर चला बुलडोजर.. सबसे बड़ी कार्रवाई
नई आबकारी नीति में क्या होगा बदलाव
नई नीति का उद्देश्य ग्राहक के अनुभव में सुधार करना, शराब माफिया पर रोक लगाना और चोरी को खत्म कर राष्ट्रीय राजधानी में शराब के कारोबार में सुधार करना है.
दिल्ली की नई आबकारी नीति के तहत बीयर बनाने वाली छोटी फैक्ट्रियों को बढ़ावा देने का फैसला किया गया है. इसके तहत दिल्लीवासी अब इन छोटी इकाइयों से ताजा ड्राट (खुली) बीयर ले सकते हैं. नीति के तहत बीयर बनाने वाली छोटी फैक्ट्रियों को बार और रेस्तरां में आपूर्ति करने की अनुमति दी गई है.
पढ़ें- बंगाल उपचुनाव: 3 सीटों पर मतदान जारी, भवानीपुर पर अटकी है सबकी नजर
नई आबकारी नीति के तहत, दिल्ली सरकार शराब की दुकानों को 32 जोनों में बांट कर शहर भर में समान वितरण सुनिश्चित करना चाहती है. नई नीति के अनुसार, एक जोन में 8-10 वार्डों को शामिल किया गया है और प्रत्येक जोन में लगभग 27 शराब की दुकानें होंगी. वर्तमान में, कुछ वार्डों में 10 से अधिक शराब की दुकानें हैं, जबकि कुछ वार्डों में कोई दुकान नहीं है.
पढ़ें- छत्तीसगढ़ में बनेगी मॉडल ग्रामीण स्वास्थ्य रिसर्च यूनिट, पाटन में होगी स्थापित
नई आवकारी नीति के तहत 17 नवंबर से खुदरा विक्रेता एमआरपी दरों पर शराब बिक्री के बजाय प्रतिस्पर्धी माहौल में बिक्री मूल्य तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे. एमआरपी का निर्धारण आबकारी आयुक्त द्वारा एक परामर्शी तंत्र के माध्यम से किया जाएगा. होलसेल प्राइस एक गणितीय सूत्र के माध्यम से तय किया जाएगा. वहीं रिटेल प्राइस प्रतिस्पर्धा के आधार पर किया जाएगा.
पढ़ें- अवैध तरीके से शराब बेचने वाले 3 बारों पर चला बुलडोजर.. सबसे बड़ी कार्रवाई
दिल्ली सरकार को नई आबकारी नीति के तहत शराब की दुकानों की बोली से लगभग 10 हजार करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है.