भोपाल: प्रदेश में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल आईबीसी-24 की ओर से हर साल स्वर्णशारदा स्कॉलरशिप सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। (IBC24 Swarna Sharda Scholarship 2023) इस बार इस कार्य्रकम का आयोजन भोपाल में किया जा रहा हैं। आज प्रदेश के 12वीं कक्षा में जिलों में टॉप करने वाले छात्र-छात्राओं को सीएम शिवराज सिंह चौहान के हाथों स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप दी जाएगी।
इस पूरे कार्यक्रम के पहले सेशन में करियर काउंसलर प्रबीनु और करियर ट्रेनर मनीषा आनंद ने छात्रों का मार्गदर्शन किया तो वही दुसरे सेशन में एमपीआरआरडी की सीईओ और आईएएस अफसर तन्वी सुन्द्रियाल, जनजातीय कार्य विभाग मप्र शासन की उप सचिव सीधा प्रणय नागवंशी और भोपाल की डीसीपी आईपीएस श्रद्धा तिवारी ने अपने अनुभवों से छात्राओं का मार्गदर्शन किया। (IBC24 Swarna Sharda Scholarship 2023) तीनो ही शीर्ष अफसरों ने बताया की मेहनत, लगन और इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ने पर लक्ष्य जरूर हासिल होता है। जहां तक सफलता का सवाल है तो इसके लिए जरूरी है कि हमें हमेशा बैकअप प्लान रखना होगा। बिना बैकअप प्लांन के आगे बढ़ने से लक्ष्य की प्राप्ति में कई तरह की बढ़ाएं आ सकती है।
इसी कड़ी में स्वर्ण शारदा के चौथे सेशन में अपने अनुभव साझा किये मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने। मंत्री सारंग की अगुवानी की आईबीसी24 के एडिटर इन चीफ रविकांत मित्तल ने। मंच पर पहुंचे विश्वास सारंग का उपस्थित जनसमूह ने तालियों से स्वागत लिया। विश्वास कैलाश सारंग ने सभी के सामने अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों में शामिल चिकित्सा शिक्षा के हिन्दी रूपान्तरण का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन और एमपी के सीएम शिवराज शिंग चौहान के मार्गदर्शन से यह संभव हो पाया। उन्होंने बताया कि चिकित्सा शिक्षा की शुरुआत हिन्दी में हो यह अपने आप मे काफी अनोखा लेकिन जटिल काम था। नई शिक्षा नीति 2020 के सामने आने के बाद वे इस पर काम करने का ठान चुके थे। (IBC24 Swarna Sharda Scholarship 2023) इसे लागू करने से पहले उन्होंने यह जानकारी जुटाई कि दुनिया के ऐसे कितने देश है जहाँ चिकित्सा की पढ़ाई उनकी मातृभाषाओ में होती है। इस तरह करीब 16 देशो के बारे में जानकारी मिली जो अपनी मातृभाषाओं में छात्र-छात्राओं को चिकित्सीय शिक्षा प्रदान करते है।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री सारंग ने इस बात पर ख़ुशी जताई कि जो काम बीते 75 वर्षो में नहीं हो सका उसे उन्होंने अपने अफसरों और मेडिकल फैकल्टी की मदद से महज चार महीनो में पूरा किया। उन्होंने यह जानकारी भी दिया कि चिकित्सा की पढ़ाई में उपयोग होने वाले शब्दों का उन्होंने हिंदी में अनुवाद नहीं कराया बल्कि उनकी हिंदी रूपांतरण किया। इस तरह हिंदी में चिकित्सा की पढ़ाई कराने का जो जिम्मा उन्होंने उठाया था उसे पूरा करने पर वह खुद को गौरवान्वित महसूस करते है। देखें पूरा कवरेज सिर्फ आईबीसी24 पर…
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