IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022: Success Story of 12th Topper tanya tamrakar

IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022 : चिमनी की रोशनी ने किया उजाला, मगर हौसला नहीं हारा, तानिया बनी टॉपर

चिमनी की रोशनी ने किया उजाला, मगर हौसला नहीं हारा! IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022: Success Story of 12th Topper tanya tamrakar

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Modified Date: July 28, 2023 / 05:29 PM IST
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Published Date: July 7, 2022 8:57 pm IST

रायपुर। अपने सामाजिक सरोकारो को निभाते हुए IBC24 समाचार चैनल हर साल स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप सम्मान से जिले की टॉपर बेटियों को सम्मानित करता है। इस साल भी IBC24 समाचार चैनल की ओर से स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप दिया जा रहा है। IBC24 की ओर से दी जाने वाली स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप केवल टॉपर बेटियों को ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के प्रत्येक संभाग के टॉपर बेटों को भी दी जाएगी। गरियाबंद जिले की तानिया ताम्रकार ने जिले का मान बढ़ाया है। 12वीं परीक्षा में 460 अंक हासिल किया। तानिया ताम्रकार ने शा. कन्या उ. मा. वि. अमलीपदर में अपना पढ़ाई पूरी की है।

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“आज का काम कल पर नहीं छोड़ना चाहिए। इससे आज तो खत्म होता ही है आने वाले कल भी हमारे हाथ से छूट जाता है। मैंने इस सूत्र को पढ़ाई पर एप्लाई किया।“

चिमनी की रोशनी में पढ़कर तानिया बनना चाहती हैं डॉक्टर

तानिया ताम्रकार की जुबानी…मैं जिस इलाके से आती हूं उसकी कल्पना ही सर्वसुविधा संपन्न लोगों को हिलाकर रखे देगी। न ठीक से इंटरनेट न बिजली ही सही रहती है। जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर दूर है मेरा गांव अमलीपदर। स्कूल का भवन जर्जर है तो शिक्षकों का टोटा है। मेरे मम्मी-पापा यह तो जानते थे कि मैं पढ़ती हूं तो अच्छे अंक लाऊंगी, लेकिन सच कहूं तो न उन्हें न मुझे यह भरोसा था कि मैं टॉपर बन जाऊंगी। कई बार चिमनी में पढ़ना पड़ता था तो कभी पावर बैंक की टॉर्च की रोशनी में। लेकिन अच्छी बात ये थी कि यह सब मेरे लिए कोई नया संघर्ष नहीं था। जिस इलाके से से आती हूं वहां इसे अभाव से ज्यादा आदत माना जाता है। अब आगे मैं नीट की तैयारी करूंगी। नीट के लिए मैंने अपनी 12वीं की पढ़ाई के दौरान भी समय निकाला है। नीट के हिसाब से ही तैयारी करती रही हूं। मैं सर्जन बनना चाहती हूं। मेरी पढ़ाई में सबसे बड़ी चुनौती बना कोरना जिसने 11वीं कक्षा बिना स्कूल के ही खत्म कर डाली। यहां से जो 12वीं का बेस बनता वह नहीं बन सका। 12वीं में भी आधा साल निकल गया। पढ़ई तुंहर द्वार ने बड़ी मदद की। ऐसे में पढ़ना मुश्किल रहा। फिर भी मैंने रोजोना 6 घंटे पढ़ाई के निकाले। हर 10 दिन पर और महीने में जो पढ़ती उसे रिवीजन करती। मेरा मानना है कि पढ़ाई को कभी कल पर नहीं टालना चाहिए। इसका नुकसान ये होता है कि हम आज तो गंवाते ही हैं साथ में आने वाला कल भी किसी काम का नहीं रहता। आईबीसी-24 की स्वर्ण शारदा पाकर मैं खुश हूं।

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