भोपाल। अक्टूबर में जहरीली शराब से उज्जैन में 14 की मौत हुई तो अब मुरैना में 21 की। अंतर महज 500 किलोमीटर और 3 महीने का है। लेकिन तस्वीरें एक जैसी है। इस बार भी पिछली बार की तरह अधिकारियों पर एक्शन लिया गया। जांच कमेटी भी बनी। रिपोर्ट भी आएगी लेकिन सवाल ये है कि आखिर हालात कब बदलेंगे। आखिर कहां कमी रह गई जो आजादी के 73 साल बाद जहरीली शराब पीने से 21 लोगों की जान चली जाए क्या प्रशासन का मानीटरिंग सिस्टम फेल है या अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं।
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जहरीली शराब से बढ़ते मौत के आंकड़े के बीच ये कार्रवाई हो रही है मुरैना में जौरा तहसील के छेरा गांव मे।कार्रवाई भोपाल से प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी की है(ग्राफिक्स इन) मुरैना कलेक्टर अनुराग वर्मा को हटाया गयापुलिस अधीक्षक अनुराग सुजानिया को हटाया गया।एसडीओपी को निलंबित किया गया।आबकारी अधिकारी, टीआई और 2 निरीक्षक सस्पेंडACS राजेश राजौरा की अध्यक्षता में 3 सदस्यों की समिति का गठन।समिति में एडीजी साईं मनोहर और डीआईजी सीआईडी ए के पांडे (ग्राफिक्स आऊट)।मुरैना मामले पर सरकार की सक्रियता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि सीएम ने सुबह पहले गृहमंत्री,आबकारी मंत्री के अलावा आला अधिकारियों के साथ मुरैना मामले पर ही बैठक की और सख्त निर्देश दिए।
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अधिकारियों पर कार्रवाई हो गईसमिति भी बन गई लेकिन सवाल ये है कि ऐसे हालात आखिर क्यों बने (ग्राफिक्स इन) बार बार बैठक लेकर सीएम अधिकारियों को चेता रहे हैं लेकिन क्या माना जाए अधिकारियों पर असर नहीं हो रहा।क्या पुराने ढर्रे पर ही काम कर रहे है अधिकारीजब 11 जनवरी को पहली मौत हुई तो क्यों नही चेते अधिकारी।क्या शराब माफिया को लेकर पूरी तरह फेल था लोकल इंटेलीजेंस।क्यों पहली मौत के बाद ही स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया (ग्राफिक्स इन) आगे बढ़ने से पहले जरा ये तस्वीर भी देख लीजिए।ये मुरैना सबलगढ़ रोड है जहां मृतकों के परिजनों ने शव रखकर प्रदर्शन किया।वो शराब माफिया पर कार्रवाई और मुआवजे की मांग कर रहे हैं।जिसके समर्थन में आज कांग्रेस भी आ गई।
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आंकड़ों पर नजर डाले तो वो बेहद चौंकाने वाले हैप्रदेश में जहरीली शराब से बीते 9 माह में 36 लोगों की मौत हो चुकी हैतीन महीने पहले ही उज्जैन में जहरीली शराब से 14 लोगों की जान गई थीवैसे अवैध शराब से सरकार को हर महीने 100 करोड़ रुपए नुकसान का अनुमान है इसके बावजूद अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे