कवर्धा। मध्यप्रदेश से होते हुए टिड्डी दल छत्तीसगढ़ सीमा के करीब पहुंच चुका है। दक्षिण पश्चिम दिशा से हवाओं के आने पर राज्य की सीमा में अभी तक ये दाखिल नहीं हो सके हैं।
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फिलहाल टिड्डी दल बालाघाट के वारासिवनी गांव में पहुंच चुके हैं। मौके पर कृषि विभाग के साथ आला अफसर मौजूद हैं। हवाओं का रूख बदलते ही टिड्डी दल जिले के लोहारा और कवर्धा ब्लॉक के गांव की ओर कूच कर सकते हैं। राज्य में पहले से ही टिड्डी दल को लेकर अलर्ट जारी किया जा चुका है। टिड्डियों से फसल को बचाने के उपाए के साथ इसे लेकर एडवायजरी जारी की जा चुकी है।
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किसानों को टिड्डी दल के बारे में जानकारी दी गई है। टिड्डी की पहचान किस तरह की जाए और इससे कैसे बचा जा सकता है इसके बारे में बताया गया है। किसानों को चेताया गया है कि टिड्डी एक बार में फसल चट कर देता हैं। इसकी पहचान है कि ये चमकीले पीले रंग और लंबे होते हैं। फसल के उपर ये चादर के जैसे दिखाई पड़ते हैं। फसलों को इनसे शोर मचा कर और फ्लेम थ्रोवर से बचाया जा सकता है।
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प्रशासन ने फसलों को इनसे बचान के लिए छिड़कने वाली दवाओं के नाम भी जारी किए हैं। टिड्डियों का जीवनकाल 40 से 85 दिन का होता है। इनके अंडों को नष्ट करने गहरी जुताई करने की सलाह दी गई है। प्रशासन ने कहा है कि टिड्डी दल की जानकारी और उपाय ही बचाव का विकल्प है।
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