भोपाल। एक जनवरी 2005 के बाद सरकारी सेवा में आए मध्य प्रदेश के अधिकारी-कर्मचारियों के लिए ये बुरी खबर है। इस तरीख के बाद सरकारी नौकरी ज्वाइन करने वाले करीब चार लाख से अधिक कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा। इन चार लाख सरकारी कर्मचारियों में विभिन्न विभागों के कर्मचारी, अध्यापक और पंचायत सचिव शामिल हैं।
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दरअसल एक जनवरी 2005 से सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू पुरानी पेंशन स्कीम समाप्त कर दी गई है… इस अवधि के बाद नौकरी में आए कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन लागू करने की मांग को लेकर मध्य प्रदेश वित्त विभाग को आवेदन किया था… इसमें बड़ी संख्या में अध्यापकों ने भी जिला शिक्षा अधिकारियों के मार्फत लोक शिक्षण संचालनालय को आवेदन भेजे थे… सबसे अधिक आवेदन भोपाल, ग्वालियर, शाजापुर, शिवपुरी, मंदसौर, उज्जैन, रीवा, दतिया, नीमच और रायसेन से भेजे गए थे।
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अध्यापकों के आवेदन पर लोक शिक्षण संचालनालय ने वित्त विभाग से इस संबंध में राय ली थी… इन आवेदनों पर वित्त विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि प्रदेश में पेंशन नियम 1972 लागू नहीं हैं… ऐसे में एक जनवरी 2005 के बाद सरकारी सेवा में आए किसी भी वर्ग के कर्मचारी को पुरानी पेंशन नहीं दी जा सकती… वित्त विभाग के इस निर्णय पर कर्मचारी संगठनों ने नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है।
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वहीं सत्ताधारी पार्टी बीजेपी का तर्क है कि जब देश में ही पुरानी पेंशन बंद कर दी गई है… तो प्रदेश में कैसे संचालित रह सकती है… वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रदेश के साथ देश में कांग्रेस की सरकार आई तो इस मामले पर गंभीरता से सुनवाई होगी।
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