पंचायत सचिवों की मांग जायज, लेकिन वर्तमान स्थिति में मांग पूरी नहीं हो सकती- टीएस सिंहदेव | The demand of Panchayat Secretaries is valid, but in present situation the demand cannot be met - TS Singhdev

पंचायत सचिवों की मांग जायज, लेकिन वर्तमान स्थिति में मांग पूरी नहीं हो सकती- टीएस सिंहदेव

पंचायत सचिवों की मांग जायज, लेकिन वर्तमान स्थिति में मांग पूरी नहीं हो सकती- टीएस सिंहदेव

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:59 PM IST
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Published Date: January 23, 2021 8:47 am IST

अंबिकापुर, छत्तीसगढ़। सूबे के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत सचिवों की मांगों को जायज बताया और आश्वासन दिया कि सरकार इसे पूरा भी करेगी मगर वर्तमान में सरकार की स्थिति ऐसी नहीं है की मांग तत्काल पूरी की जा सके।

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सिंहदेव ने आगे कहा है कि पंचायत सचिव पढ़े लिखे और समझदार हैं उन्हें काम पर वापस आना चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर दुर्भाग्यजनक स्थिति बन सकती है। सिंहदेव ने कहा पंचायत सचिवों को हड़ताल वापस कर काम पर लौटने की अपील की है। स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा है कि अगर हड़ताल वापस नहीं ली जाती तो सरकार सख्ती बरतने से भी नहीं चूकेगी। 

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पंचायत मंत्री टीएस सिंह देव ने साफ कहा कि पंचायत सचिवों के धरने के पहले और धरने के बाद उनके प्रतिनिधियों से बात की गई है और उन्हें यह भी आश्वासन दिया गया है कि आप की मांग जायज है और इसे सरकार पूरा भी करेगी मगर वर्तमान समय में सरकार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं कि नियमितीकरण कर अतिरिक्त आर्थिक बोझ सरकार वहन कर सके।

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अकेले पंचायत सचिवों को नियमित करने पर सरकार पर 211 करोड़ रुपए सालाना अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। ऐसे में सरकार की स्थिति ऐसी नहीं कि यह आर्थिक बोझ उठा सकें यही कारण है कि समय और परिस्थिति के अनुरूप सरकार पंचायत सचिवों की मांग जरूर मानेगी। मंत्री टीएस सिंहदेव ने यह भी कहा कि पंचायत सचिवों के धरने पर चले जाने के कारण आम लोगों के काम प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में अगर पंचायत सचिव काम पर नहीं लौटते तो दुर्भाग्यजनक स्थिति बन सकती है और सरकार कड़े कदम भी उठा सकती है।

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ऐसे में साफ है कि एक तरफ पंचायत सचिव करीब 28 दिनों से अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर धरने पर हैं और उनका आंदोलन लगातार जारी है। मगर दूसरी तरफ सरकार भी अपनी मजबूरी गिनाते हुए पंचायत सचिवों की मांग पूरा नहीं कर पाने की बात कह रही है। ऐसे में देखना होगा कि आखिर कब तक इस समस्या का समाधान निकल पाता है। सरकार कोई सख्त कदम उठाती है या फिर पंचायत सचिव बिना मांग पूरी हुए वापस काम पर लौटते हैं।