जांजगीर। सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं होती, सरकारी स्कूल के बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं। इन बातों को आपने कई बार सुना होगा, महसूस किया होगा। सरकारी स्कूल की बदहाली की खबरें भी आपने बहुत देखी होगी, लेकिन आज हम आपको जांजगीर-चाम्पा जिले के एक ऐसे सरकारी स्कूल के बारे में बताएंगे, जहां की एक छात्रा को 60 तक पहाड़ा याद है। अंग्रेजी को बच्चे फर्राटेदार पढ़ते हैं। अखबार पढ़ने से लेकर खेल, बागवानी समेत सभी मामलों में इस सरकारी स्कूल के बच्चे आगे हैं।
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जांजगीर-चाम्पा जिले के बलौदा ब्लाक के बैजलपुर प्रायमरी स्कूल के बच्चों की प्रतिभा और अच्छे शैक्षणिक माहौल की चर्चा अब दूर-दूर तक होने लगी है। इस प्रायमरी स्कूल की छात्रा साधना महंत को 60 तक का पहाड़ा याद है। कक्षा 5 वीं के सभी 21 छात्र-छात्राओं 30 तक का पहाड़ा याद है। कक्षा तीसरी और चौथी के बच्चे भी पीछे नहीं हैं। इन्हें भी 20 से अधिक का पहाड़ा याद है। स्कूल के शिक्षक रामस्वरूप साहू द्वारा अंग्रेजी को फोनिक तरीके से बच्चों को पढ़ाया जाता है, जिससे बच्चों को अंग्रेजी के शब्दों का बेहतर ज्ञान हो जाता है और बच्चे, अंग्रेजी को भी फर्राटेदार पढ़ते हैं।
यहां के बच्चे, अखबार पढ़ने में भी तेज हैं। हिंदी शब्दों का बेहतर उच्चारण से अखबार को भी बच्चे फर्राटेदार पढ़ते हैं। सरकारी स्कूल के ये बच्चे अपने टैलेन्ट से सबको चौंका रहे हैं। सरकारी प्रायमरी स्कूल में 96 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, जहां पढ़ाई का ऐसा बेहतर माहौल है कि इस गांव से एक बच्चे बाहर के प्राइवेट प्रायमरी स्कूल में पढ़ने नहीं जाते, सभी बच्चों के परिजन सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाते हैं। इस सरकारी स्कूल में सामूहिकता की भावना है, यहां गांव के लोग स्कूल को बेहतर करने दान देते हैं, वहीं स्कूल के शिक्षक भी अपनी तनख्वाह की कुछ राशि स्कूल को बेहतर करने में खर्च कर रहे हैं, ताकि बच्चों को पढ़ाई से लेकर खेल तक बेहतर माहौल मिल सके।
शिक्षकों और अभिभावकों को सरकारी स्कूल के ये बच्चे निराश भी नहीं कर रहे हैं और आपने टैलेंट से सबको चौंका रहे हैं। शिक्षकों के प्रयास से आज यह सरकारी स्कूल आक्सीजोन में बदल गया है। शिक्षकों और बच्चे मिलकर स्कूल परिसर में बागवानी भी करते हैं। इस तरह बच्चों में पर्यावरण संरक्षण की भावना भी है। स्कूल की दीवारों में संदेश देती तस्वीरें उकेरी गई हैं, उनमें पढ़ाई और स्वच्छता का संदेश है।
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बैजलपुर के प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों की कोशिश और बच्चों के टैलेन्ट के शिक्षा अधिकारी भी कायल हैं और इस स्कूल को वे अन्य सरकारी स्कूल के लिए मॉडल मानते हैं। बैजलपुर के इस सरकारी प्रायमरी स्कूल ने उन मिथकों को तोड़ने की कोशिश की है, जो सरकारी स्कूलों के प्रति बन गई है। बेहतर पढ़ाई और शिक्षकों की अलग कोशिश का नतीजा है कि इस सरकारी स्कूल में, प्राइवेट स्कूल को छोड़कर पढ़ाई कर रहे हैं।
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