राजधानी रायपुर में इन दिनों ऑक्सीजोन बनाने की कवायद तेज है. प्रशासन के सख्ती के खिलाफ प्रभावित कोर्ट तक जा चुके हैं. मगर क्या आपको याद है कि राजधानी रायपुर में 2012 में ही ऑक्सीजोन का निर्माण हो चुका है.
शहर के बीचोंबीच कलेक्टोरेट परिसर के पीछे 71 दुकान और 45 मकान उजाड़ कर 19 एकड़ में ऑक्सीजोन बनाने की तैयारी जोरो पर है. जिसमें हजारों की संख्या में पेड़-पौधे लगाकर ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने का दावा किया जा रहा है.
अब हम आपको ऑक्सीवन के बारे में थोड़ा याद दिलाते हैं. जो साल 2012 में ही राजधानी के सोनडोंगरी में 10 हेक्टेयर जमीन पर बनाया गया था. जहां मुख्यमंत्री से लेकर तमाम अधिकारियों ने पौधे लगाए थे. मिसेस मुख्यमंत्री ने करीब 10 से 12 बार यहां का जायजा लिया था. इस जगह पर 8 हजार पौधे लगाने का दावा किया गया. इतना ही नहीं गुलाब गार्डन तक का निर्माण किया गया.
जानकारों की माने तो यहां अब तक 10 करोड़ रूपए से अधिक की राशि खर्च की जा चुकी है. मगर आज यह ऑक्सीवन अपनी ही दुर्दशा पर रो रहा है. आलम ये है कि ऑक्सीवन में हरियाली तक का अता-पता नहीं है. कटे-सूखे और उजड़ा हुआ वन ही दिखाई देता है. इस पर एक जानकारी ये कि जिनके कंधों पर ऑक्सीवन की जिम्मेदारी थी उन्हीं जिम्मेदार कंधों को ऑक्सीजोन की जिम्मेदारी दी गई है. यानि ऑक्सीवन को बर्बादी की कगार पर ले जाने वालों को ऑक्सीजोन को आबाद करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.