भोपाल। एमपी में उपचुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है.. बयानों के तीर चल रहे हैं.. जीत के लिए नई-नई रणनीति अपनाई जा रही है..लेकिन जहां तक मुद्दों की बात है..सूबे में स्थानीय मुद्दे लगभग गायब हैं.. और राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर पार्टी एक दूसरे के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं.. ऐसे में सवाल है कि …क्या इन मुद्दों को तूल देकर राजनीतिक पार्टियां स्थानीय और मूल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाना चाहती हैं..?
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मध्यप्रदेश में दोनों ही पार्टियों के बयान बताते हैं कि चुनाव में महज एक महीने से भी कम का वक्त बचा है लेकिन सियासत स्थानीय मुद्दों पर नहीं बल्कि राष्ट्रीय मुद्दों के इर्द गिर्द सिमट गई है …प्रदेश में इस समय किसानों को लेकर कर्जमाफी , फसल बीमा, अतिथि शिक्षक, महंगे बिजली बिल, बेरोजगारी के साथ कोरोना महामारी जैसे कई अहम मुद्दे हैं लेकिन राजनीति हो रही है तो सुशांत, रिया, कंगना और हाथरस को लेकर …
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जब स्थानीय मुद्दे पीछे हो तो सवाल उठना लाजिमी है कि क्या इन पार्टियों के पास खुद की कोई उपलब्धि नहीं है ..क्या दूसरी पार्टी को निशाना बनाने के लिए ये किस हद तक भी जा सकते हैं …क्या चुनाव जीतने के लिए हाथरस जैसे संवेदनशील मुद्दों को उछाला जा सकता है..क्या बॉलीवुड़ में चल रहे एक विवाद के जरिए दूसरी पार्टी को कटघरे में खड़ा किया जा सकता है।
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मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनाव में मूल मुद्दों के बजाय के देश भर में टीवी पर चल रहे मुद्दों को लेकर है.. ऐसा लगता है कि मध्यप्रदेश में मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है… जहां बीजेपी हाथरस कांड को लेकर कांग्रेस के खिलाफ प्रदेश में माहौल बनाने में लगी है.. वहीं कांग्रेस सुशांत और कंगना राणावत और रिया चक्रवती को लेकर बीजेपी को घेरने में लगी है..कुल मिलाकर अब सूबे की जनता को तय करना है कि वो अपना वोट देते वक्त किन मुद्दों को ध्यान में रखेगी?
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