रायपुर: Kawasi Lakhma News छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में आरोपियों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रहे है। ED छापेमार कार्यवाही कर आरोपियों पर शिकंजा कंस रही है। शराब घोटाले के शिकंजे में आए छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री कवासी लखमा की भी मुश्किलें कम होने की नाम नहीं के रही है। लखमा का आज ED रिमांड खत्म हो रहा है। आज दोपहर कवासी लखमा को ED के विशेष कोर्ट में पेशी है। बताया जा रहा है की 7 दिनों तक चली इस पूछताछ में ED को कई अहम् राज हाथ लगी है। जिसके आधार पर शराब घोटाले में आगे बड़ी कार्याही हो सकती है ।
Kawasi Lakhma News बता दे की कवासी लखमा को 15 जनवरी को ईडी ने पूछताछ के बाद अरेस्ट कर लिया था। लखमा 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा के शराब घोटाला मामले में आरोपी हैं। बता दे की जब शराब घोटाला उजागर हुआ था। उस समय कवासी लखमा राज्य के आबकारी मंत्री थे। ईडी ने 28 दिसम्बर को कवासी समेत उसके करीबियों के रेड मारी थी। इसके बाद 3 और 9 जनवरी को भी पूछताछ किये, लखमा को 15 जनवरी को भी उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया था। यहां पूछताछ के बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया था। ईडी ने कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया। यहां उन्हें अतुल कुमार श्रीवास्तव की विशेष कोर्ट में पेश किया गया। उसके बाद ईडी ने कवासी लखमा को 21 जनवरी तक रिमांड पर भेजा है। अदालत ने कुल 7 दिनों की रिमांड दी है। आज रिमांड ख़त्म होने के बाद एक बार फिर ED कवासी लखमा को कोर्ट में पेश करेगी। ED इस दौरान रिमांड या तो न्यायिक रिमांड पर जेल भेजने की मांग कर सकती है। कुल मिलाकर देखें तो पूर्व मंत्री की मुश्किलें कम होती दिखाई नहीं दे रहे है।
इससे पहले, ईडी ने एक बयान में दावा किया था कि पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन के दौरान आबकारी मंत्री रहे लखमा शराब ‘घोटाले’ में अपराध की आय के मुख्य प्राप्तकर्ता थे। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि लखमा को ‘‘शराब घोटाले से अर्जित अपराध की आय से मासिक आधार पर नकद में बड़ी रकम’’ हासिल होती थी। ईडी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ था, जब राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का शासन था। कोंटा (सुकमा जिला) से छह बार के विधायक लखमा उस समय आबकारी मंत्री थे। जांच एजेंसी ने दावा किया था, ‘‘छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के परिणामस्वरूप राज्य के सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेब में अपराध से अर्जित 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की आय गई।’’