स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाही के चलते प्रसूता को देना पड़ा जीप में बच्चे को जन्म | Jashpur News:

स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाही के चलते प्रसूता को देना पड़ा जीप में बच्चे को जन्म

स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाही के चलते प्रसूता को देना पड़ा जीप में बच्चे को जन्म

Edited By :  
Modified Date: November 29, 2022 / 08:45 PM IST
,
Published Date: June 23, 2018 9:06 am IST

जशपुर। जिस जिले की कलेक्टर खुद एक महिला डॉक्टर हों उस जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं कितनी बेहतर है। इसे जानने के लिए छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर पर बसे जशपुर के बगीचा की स्थिति देखना जरुरी है। बता दें की इस जिले की महिला कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला खुद एक डॉक्टर हैं,लेकिन यहाँ की स्वास्थ्य सुविधाएँ  बदहाल हैं। बदहाली का आलम ये है कि अस्पताल के बाहर जीप में ही प्रसूता को बच्चे को जन्म देना पड़ा,परिजन के द्वारा डाक्टर नर्स को बुलाने पर भी कोई नहीं आया और जीप में ही बच्चे का जन्म हो गया। 

ये भी पढ़ें –घटिया निर्माण कार्य पर भड़के कलेक्टर

 

घटना  कायाकल्प पुरस्कार में प्रदेश के दूसरे नम्बर का अवार्ड जीत चुके सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बगीचा की है जहां एक महिला को पूरी सुविधा न होने के कारण  बोलेरो में अपनी बच्ची को जन्म देना पड़ा।  महिला का नाम है सफीला यादव है  जो कि बगीचा विकासखण्ड मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर महनई की रहने वाली है,कल देर शाम उसे दर्द शुरू हुआ तो उसके परिजन उसे निजी वाहन में लेकर पास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सुलेसा लेकर गए, जहाँ से इन्हें बिजली नहीं होने का हवाला देकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बगीचा जाने की सलाह देकर एएनएम के पति ने चलता कर दिया, जिसके बाद ये सभी देर रात बगीचा अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां भी स्थिति गंभीर होने की बात कहकर अम्बिकापुर रेफर कर दिया गया,रेफर करने के बाद जब महिला के परिजन गाड़ी में उसे बैठाए तो अस्पताल के बाहर ही महिला को दर्द शुरू हो गया और डिलीवरी शुरू हो गयी,जिसके बाद महिला के परिजनों ने स्वास्थ्यकर्मियों से मदद की गुहार लगाई लेकिन कोई भी मदद के लिए अस्पताल के दरवाजे पर नही आया.और दाई की मदद से परिजन डिलीवरी कराने लगे .

ये भी पढ़ें –स्कूल के टॉयलेट में मिला छात्र का शव, पेट और गले पर चाकू से किया गया वार

इसी दौरान परिजनों ने मामले की जानकारी मीडिया को दी जिसके तुरंत बाद मीडिया  की टीम मौके पर पहुँची, मीडिया की आने की सूचना मिलते ही स्वास्थ्य अमले में हड़कंप मच गया और आनन फानन में आराम फरमा रहे स्वास्थ्यकर्मी बाहर पहुँचे और उन्होंने सफाई देते हुए बताया कि इसे रेफर कर दिया गया था। इतना ही नहीं बीएमओ साहब जीप के किनारे खड़े होकर माजरा देख रहे थे और नर्स भागकर नवजात बच्चे को अन्दर लेकर जा रही थी।इन सब बात में बड़ा सवाल ये उठता है कि किसी मरीज को रेफर कर दिए जाने के बाद क्या उनकी जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है या फिर स्वास्थ्य सेवा देने वाले ये स्वास्थ्यकर्मी मानवीय संवेदनाएं ही भूल गए हैं।बहरहाल मिडिया की दखल के बाद अब जच्चा और बच्चा दोनों सकुशल है। और आलाधिकारी मामले में जांच के बाद कारवाई की बात कह रहे हैं। 

 

वेब डेस्क IBC24