बिलासपुर। हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि दूसरी पत्नी की संतान भी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार है। न्यायालय ने कहा है कि दूसरी शादी अवैध है लेकिन बच्चे को अवैध नहीं कहा जा सकता बच्चे वैध होते हैं। न्यायालय ने इस मामले में रेलवे की अपील खारिज कर दी है और दूसरी पत्नी के संतान को 45 दिन में अनुकंपा नियुक्ति देने का निर्देश जारी किया है।
एसईसीआर बिलासपुर की याचिका पर चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस संजय के अग्रवाल की बेंच ने फैसला देते हुए कहा है कि मृत रेलवे कर्मचारी की दूसरी पत्नी से हुए बच्चे को भी रेलवे में अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त करने का अधिकार है। केंद्र सरकार और रेलवे ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
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गौरतलब है कि बिलासपुर के आरटीएस कॉलोनी में रहने वाली ऋचा लामा के पिता स्व. गणेश लामा एसईसीआर में कार्यरत थे। सेवा के दौरान 17 जनवरी 2015 को मौत हो गई। ऋचा ने विभाग के समक्ष अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया, लेकिन इसे 4 अप्रैल 2017 को इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि वह मृतक की दूसरी पत्नी की बेटी है। इस कारण से वह अनुकंपा नियुक्ति की हकदार नहीं है।
चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस संजय के अग्रवाल की बेंच में इस पर सुनवाई हुई। रेलवे की तरफ से 2 जनवरी 1992 को जारी सर्कुलर का हवाला देते हुए कहा गया कि दूसरी पत्नी की बेटी होने के आधार पर वह अनुकंपा नियुक्ति की हकदार नहीं है। अधिकरण का आदेश गलत है, लिहाजा इसे निरस्त किया जाए।
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वहीं, ऋचा की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट एवी श्रीधर ने बताया कि बाम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले में दिए गए आदेश में इस सर्कुलर को निरस्त कर दिया था। केंद्र सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार विरुद्ध वीआर त्रिपाठी के मामले में बाम्बे हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए एसईसीआर की याचिका खारिज कर दी है।