बिलासपुर। जम्मू कश्मीर में क्रॉस फायरिंग में शिक्षा मंत्री और स्थानीय नागरिक की मौत मामले में बर्खास्त जवान को हाईकोर्ट ने फिर से बहाल करने का आदेश सुनाया है। साल 2005 में जम्मू के तत्कालिन शिक्षा मंत्री गुलाम नबी के बंगले के बाहर क्रॉस फायरिंग में गुलाम नबी और एक स्थानीय नागरिक शंकर प्रसाद की मौत हो गई थी। इस मामले में छत्तीसगढ़ के रहने वाले सीआरपीएफ जवान कृष्ण कन्हैया को विभागीय जांच के बाद बर्खास्त कर दिया गया था। लेकिन अब इस मामले में हाईकोर्ट ने जांच कर बर्खास्त जवान को फिर नौकरी में वापस लेने का आदेश सुनाया है।
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बिलासपुर जिले के रहने वाले सीआरपीएफ के जवान कृष्ण कन्हैया को साल 2005 में जम्मू कश्मीर में तैनात किया गया था। उसकी डयूटी जम्मू कश्मीर के शिक्षा मंत्री गुलाम नबी के बंगले में लगाई गयी थी। जनदर्शन के दौरान सुरक्षा में लगी जम्मू कश्मीर पुलिस के नहीं पहुंचने पर गुलाम नबी ने जवान कन्हैया को लोगों की जांच कर अंदर भेजने के लिए कहा।
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इस दौरान वहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और अंदर घुसने का प्रयास किया। इस पर भीड़ से गोली चलने लगी और जवान ने भी जवाबी फायर किया। फायरिंग में एक स्थानीय निवासी शंकर प्रसाद सहित शिक्षा मंत्री गुलामनबी की गोली लगने से मौत हो गई थी। इस मामले में सीआरपीएफ ने जवान को निलंबित कर विभागीय जांच के बाद उसको बर्खास्त किया था।
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जवान ने इस कार्रवाई के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिस पर जस्टिस पी सेम कोषी की कोर्ट में सुनवाई यी। कोर्ट ने पाया कि कहीं भी यह साबित नहीं हुआ है कि जवान के द्वारा चलाई गई गोली से मंत्री और नागरिक की मौत हुई थी और जवान अपनी डयूटी कर रहा था। इस के साथ ही कोर्ट ने अपना अंतिम आदेश पारित करते हुए याचिकाकर्ता जवान को पिछला सभी लाभ प्रदान करते हुए सेवा में वापस लेने का आदेश जारी किया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री का निधन
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