रायपुर। सीएम भूपेश बघेल ने कृषि कानून पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर बयान दिया है। सीएम बघेल ने सवाल किया कि क्या फटकार लगाने से केंद्र सरकार को कोई फर्क पड़ रहा है क्या? सरकार को मान लेना चाहिए जो सुप्रीम कोर्ट ने इशारा कर दिया है। सीएम ने आगे कहा है कि अब तक भारत सरकार को रोक लगा देना चाहिए था। आप एक आदेश भी जारी नहीं कर पा रहे हैं।
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गौरतलब है कि कृषि कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के तीनों कृषि कानून पर रोक लगा दी है। हालांकि कोर्ट ने अभी अंतरिम रोक लगाई है। इसे पहले मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि किसानों की समस्या के निदान के लिए एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि हम एक कमेटी बना रहे हैं ताकि हमारे पास एक स्पष्ट तस्वीर हो। हम यह तर्क नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी में नहीं जाएंगे।
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वहीं, दूसरी एडवोकेट एमएल शर्मा ने अदालत को बताया कि किसानों ने कहा है कि वे अदालत द्वारा गठित किसी भी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे। 400 किसानों के निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले दुष्यंत दवे, एचएस फूलका, कॉलिन गोंसाल्वेस ने आज एससी की कार्यवाही में भाग नहीं लिया। कई व्यक्ति चर्चा के लिए आए थे, लेकिन इस बातचीत के जो मुख्य व्यक्ति हैं, प्रधानमंत्री नहीं आए।
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इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम प्रधानमंत्री को नहीं कह सकते कि आप मीटिंग में जाओ। वह इस केस में कोई पार्टी नहीं हैं। एससी के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे का कहना है कि कानूनों के कार्यान्वयन को राजनीतिक जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे विधानों पर व्यक्त चिंताओं की एक गंभीर परीक्षा के रूप में देखा जाना चाहिए।