रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलों में शासकीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों स्थिति की समीक्षा की। शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली सुराजी गांव योजना की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कलेक्टरों को गौठानों को आय मूलक गतिविधियों के केन्द्र के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। राज्य में इस योजना के तहत नरवा के उपचार की स्थिति की भी उन्होंने जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि भू-जल स्तर को बेहतर बनाने के साथ ही खेती किसानी को समृद्ध बनाने हेतु नालों में बहते पानी को रोकना जरूरी है। उन्होंने नालों के उपचार के कार्य को प्राथमिकता से कराए जाने के निर्देश दिए।
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बैठक में जानकारी दी गई कि सुराजी गांव योजना के तहत राज्य में प्रथम चरण में 813 नालों को उपचार के लिए चिन्हांकित किया गया, जिसमें से 745 नालों के बहते पानी को रोकने की कार्ययोजना को स्वीकृति दी गई। इसके लिए कुल स्वीकृत 40 हजार 127 कार्यों में से 17 हजार कार्य पूर्ण करा लिए गए हैं, शेष कार्य प्रगति पर हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी नालों के उपचार का कार्य कराए जाने हेतु शीघ्र विस्तृत कार्य योजना तैयार करने तथा उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य की प्रमुख नदियों में आकर मिलने वाले नालों का उपचार कराए जाने के पूर्व नालों के किनारों पर स्थित गांवों के कुआं, ट्यूबवेल का जलस्तर लिया जाना चाहिए। ताकि नालों के उपचार के बाद स्थिति में आए बदलाव का आंकलन किया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि नालों के उपचार से नदियों को भी पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी।
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बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में प्रथम चरण में 1286 तथा दूसरे चरण में 3926 गौठान के निर्माण की मंजूरी दी गई। जिसमें से 1996 गौठानों का निर्माण पूर्ण करा लिया गया है। लगभग 28 सौ गौठानों का निर्माण कराया जा रहा है। राज्य के शतप्रतिशत ग्राम पंचायतों में गौठान निर्माण कराए जाने का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों को लोगों के रोजगार का जरिया बनाया जाए। उन्होंने कहा कि गौठानों में सब्जी उत्पादन, मुर्गीपालन, बकरीपालन, मछलीपालन के अलावा अन्य आय मूलक गतिविधयों से समूहों को जोड़ा जाए।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के औद्योगिक राज्यों में कोरोना संक्रमण की वजह से बहुत सारी आर्थिक गतिविधियां एवं फेक्ट्ररियां बंद हैं। उन्होंने अधिकारियों को स्थानीय आवश्यकताओं का आंकलन कर इसकी आपूर्ति के लिए स्थानीय स्तर पर इसके उत्पादन का प्लान तैयार करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके जरिए हम स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार दे सकते हैं।
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मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को गौठान समितियों को सक्रिय करने तथा समिति को प्रदाय की जा रही राशि से पशुओं के चारे-पानी का बेहतर प्रबंध सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि खुली चराई प्रथा पर रोक लगे, इसके लिए ग्राम सभा की बैठक में आवश्यक पहल की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने गांव के युवाओं के भी समूह बनाने और उन्हें आय उपार्जन की गतिविधियों से जोड़ने पर जोर दिया। गौठान समितियों से जुड़ी महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित सामग्री की मार्केटिंग की भी व्यवस्था के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्थानीय समूहों द्वारा उत्पादित सामग्री की क्वालिटी एवं पैकेजिंग बेहतर हो इसके लिए भी आवश्यक मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण जरूरी है।
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बैठक में चारागाह विकास के काम को भी प्राथमिकता से कराए जाने के निर्देश दिए गए ताकि गौठानों में पशुओं को नियमित रूप से हरा चारा मिलता रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे पशुओं के स्वास्थ्य एवं दुग्ध उत्पादन बेहतर होगा। वन क्षेत्रों से लगे ग्रामों में गौठान की स्थापना के लिए आवर्ती चराई योजना के अंतर्गत सुनिश्चित करने तथा वन समितियों के माध्यम से हरे चारे के उत्पादन को बढ़ावा देने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने बाड़ी विकास कार्यक्रम की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने सामूहिक एवं व्यक्तिगत बाड़ियों से उत्पादित होने वाली सब्जी की आपूर्ति स्कूलों, आश्रमों छात्रावासों, सुरक्षा बलों के मेस में कराने की व्यवस्था करने को कहा ताकि सब्जी उत्पादक को साल भर आमदनी हो सके।
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