भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश के 24 लाख किसानाें का 550 करोड़ रुपए का ब्याज माफ करने का फैसला लिया है। शिवराज कैबिनेट की हुई बैठक में सहकारिता विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रदेश के सहकारी बैंकों ने वर्ष 2019-20 में किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर 14 हजार करोड़ का कर्ज दिया था, लेकिन मूल राशि चुकाने की अवधि समाप्त होने के बाद किसानों को ब्याज देना पड़ता है। अब किसानों को यह ब्याज नहीं चुकाना पड़ेगा। सरकार सहकारी बैंकों को यह राशि देगी।
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कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी देते हुए गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया, दुग्ध संघ को घाटे से उबारने के लिए 14.80 करोड़ के अनुदान देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। लॉकडाउन के कारण किसानों को दुग्ध संघ ने राशि का भुगतान नहीं किया था। उन्होंने बताया, मध्य प्रदेश का वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेपर लेस होगा। यह निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिया गया है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा विधानसभा में बजट टैबलेट से प्रस्तुत करेंगे। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को पेपरलेस बजट संसद में पेश किया था। मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज सुबह ही यह घोषणा की है कि यूपी का बजट भी पेपरलेस होगा।
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कैबिनेट के अन्य महत्त्वपूर्ण फैसलों में राज्य सरकार लोक निर्माण विभाग में सड़क और निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदारों को अर्नेस्ट मनी जमा करने में राहत दी है। कोरोना काल में लॉकडाउन की वजह से ठेकेदार काम नहीं कर पाए थे। ठेकेदारों को राहत देते हुए अर्नेस्ट मनी जमा करने की सीमा 5% से घटाकर 3% कर दी है। इसके साथ ही ठेकेदारों को काम करने के लिए 6 माह का अतिरिक्त समय दिया गया है।
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बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार की तरह ही मध्य प्रदेश का बजट भी आत्मनिर्भरता पर केंद्रित होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र ने स्वास्थ्य के लिए 2 लाख करोड़ से ज्यादा राशि का प्रावधान किया है। स्वास्थ्य मंत्री प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने के लिए केंद्र से ज्यादा से ज्यादा राशि प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव तैयार करें। इसी तरह कुपोषण से लड़ने की नीति इस तरह तैयार करें कि केंद्र से ज्यादा राशि उपलब्ध हो सके। हर ब्लाॅक में होगा एक एक्सीलेंस स्कूल कैबिनेट बैठक के दौरान तय किया गया कि हर ब्लाॅक में एक एक्सीलेंस स्कूल खोले जाएंगे। दो स्कूलों के बीच कम से कम 45 किलोमीटर की दूरी होगी। ऐसे स्कूलों की संख्या 9920 तय की गई है।
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