मोदी सरकार के इस फैसले के बाद चिटफंड निवेशकों को मिलेगी बड़ी राहत, जल्द पेश होगा बिल | Cabinet accords approval to introduction of Chit Funds (Amendment) Bill, 2019 in #Parliament,

मोदी सरकार के इस फैसले के बाद चिटफंड निवेशकों को मिलेगी बड़ी राहत, जल्द पेश होगा बिल

मोदी सरकार के इस फैसले के बाद चिटफंड निवेशकों को मिलेगी बड़ी राहत, जल्द पेश होगा बिल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:09 PM IST, Published Date : July 31, 2019/12:02 pm IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को संपन्न हुई कैबिनेट बैठक में कई अहम प्रस्तावों का मंजूरी दी गई है। बेठक में जहां सरकार के मंत्रिमंडल ने किसानों को बड़ी राहत दी है, वहीं चिटफंड निवेशकों के लिए भी बड़ा फैसला लिया है। कैबिनेट में चिटफंड संशोधन बिल को लोकसभा में पेश करने की मंजूरी दे दी है।

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केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि चिटफंड में निवेश को सुरक्षित बनाने के लिए सरकार ने चिटफंड बिल लाने का फैसला लिया है। कि सुसंगठित औऱ सुव्यवस्थित रूप से चिटफंड का बिजनेस चले और लोगों के लिए बचत का रास्ता खुले। इसके लिए सरकार ने चिटफंड को एक रेगुलेटेड रिजस्टर्ड बिजनेस में परिवर्तित करने का निर्णय लिया।

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जावड़ेकर ने आगे बताया कि स्टैंडिंग कमेटी के सामने पेश किया गया था। स्टैंडिंग कमेटी ने कुछ महत्वर्पूण बदलाव के सुझाव दिए हैं। सुझाव के अनुसार चिटफंड के रेगुलेटेड रजिस्टर्ड बिजनेस के लिए नया बिल होगा। इस बिल में चिटफंड ग्राहकों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए है।

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कैबिनेट ने चिटफंड में निवेश की सीमा की सीमा को बढ़ाने का फैसला लिया है। इस बदलाव के साथ अब कंपनी और व्यक्तिगत तौर पर चिंटफंड कंपनी में अधिक निवेश किया जा सकता है। चिटफंड में व्यक्तिगत निवेश की सीमा 1 लाख रुपये बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर दिया गया है। वहीं कंपनियों के लिए यह सीमा 6 लाख रुपए से बढ़ाकर 18 लाख रुपये किया गया है।

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क्या है चिटफंड?
चिटफंड एक्ट-1982 के मुताबिक चिटफंड स्कीम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का समूह एक साथ समझौता करे। चिटफंड एक्ट 1982 के सेक्शन 61 के तहत चिट रजिस्ट्रार की नियुक्ति सरकार के द्वारा की जाती है। चिटफंड के मामलों में कार्रवाई और न्याय निर्धारण का अधिकार रजिस्ट्रार और राज्य सरकार का ही होता है।
चिटफंड कंपनियां गैर-बैंकिंग कंपनियों की श्रेणी में आती हैं। ऐसी कंपनियों को किसी खास योजना के तहत खास अवधि के लिए रिजर्व बैंक और सेबी की ओर से आम लोगों से मियादी (फिक्स्ड डिपाजिट) और रोजाना जमा (डेली डिपाजिट) जैसी योजनाओं के लिए धन उगाहने की अनुमति मिली होती है। जिन योजनाओं को दिखा कर अनुमति ली जाती है, वह तो ठीक होती हैं। लेकिन इजाजत मिलने के बाद ऐसी कंपनियां अपनी मूल योजना से इतर विभिन्न लुभावनी योजनाएं बना कर लोगों से धन उगाहना शुरू कर देती हैं।

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