जनता के पैसे का कैसे दुरुपयोग किया जाता है. इसका अंदाजा कोरबा के बस डिपो में लाइन से खड़ी ये बसें देख लगाया जा सकता है. ये बसें जनता के पैसे से खरीदी गई है और बीते दो साल से उद्घाटन के लिए VVIP का इंतजार कर रही है. लाइन में खड़ी ये बसें बीते दो साल से यही और इसी हालात में खड़ी है. अब आप सोच रहे होंगे की शायद ये बसें खराब होगी. तो आपको बता दें कि ये बसें खराब नहीं है और न हीं पुरानी है. दो साल पहले करोड़ों खर्च कर ये चमचमाती बसें खरीदी गई थी. लेकिन अभी तक किसी VVIP को इसे हरी झंडी दिखाने की फुर्सत नहीं मिली है और इसी इंतजार में ये बसें बीते दो साल से यहीं खड़ी हैं.
19 दिसंबर 2015 को कोरबा शहर के लोगों के लिए सिटी बस चलाने के लिए 40 नॉन एसी और 8 एसी बसें खरीदी गई थी. जिसमें नॉन एसी सिटी बसें तो सड़कों पर दौड़ने लगी. लेकिन 8 एसी सिटी बसें आज भी डिपो में धूल फांक रही है. एसी बसों को चलाने को लेकर तमाम अड़चने आई. जिसमें सबसे पहली अड़चन बनी कि एसी बसों के संचालन का रूट क्या होगा. जब रूट तय हुआ तो परमिट नहीं था. अधिकारियों ने तेजी काम करते हुए एक साल में परमिट भी ले लिया.
लेकिन सबसे बड़ी अड़चन तो ये है कि. बसों को हरी झंडी दिखाये कौन. राज्य में बीजेपी की सरकार है. कोरबा नगर निगम में कांग्रेस की. कांग्रेस के पार्षद इसे VVIP इंतजार में लोगों के सुविधाओं से खिलवाड़ बता रहे हैं. तो निर्दलीय र्षद इसे अधिकारियों की नाकामी बता रहे हैं. खैर जनता के पैसे से बसें तो खरीदी जा चुकी है. लेकिन जनता से ज्यादा नेताओं को शायद क्रेडिट की फिक्र है.