24th episode of Lokvani : रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आकाशवाणी से आज प्रसारित रेडियोवार्ता लोकवाणी की 24वीं कड़ी में ‘‘नवा छत्तीसगढ़ और न्याय के तीन वर्ष’’ विषय पर बात-चीत की शुरूआत जय जोहार के अभिवादन के साथ की। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि इन तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ राज्य को अपनी वास्तविक छत्तीसगढ़िया पहचान दिलाते हुए, विकास और न्याय के नए प्रतिमान स्थापित किए गए हैं। इसमें हमारे पुरखों ने छत्तीसगढ़ राज्य के लिए जो सपने देखे थे, वो हमने पूरे किए हैं।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि मेरी तीन साल की सबसे बड़ी सफलता तो यही है कि आप लोग अपने अधिकारों, अवसरों और वास्तविक तरक्की को स्वयं महसूस कर रहे हैं, सच होते देख रहे हैं। खुशी है कि मैं कुछ सार्थक बदलाव करने में सफल हुआ हूं। आज विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा पूरे देश और दुनिया में है। मुझे विश्वास है कि जब हम अपने पुरखों के रास्ते पर चलते हैं और पुराने मूल्यों से छेड़खानी किए बगैर सुधार के साथ आगे बढ़ते हैं तो हम सफलता के शिखर पर पहुंचते हैं। हमने तीन वर्षों में गरीबों तथा कमजोर तबकों के लिए ऐसे प्रयास किए हैं, जिनके बारे में पहले कभी सोचा नहीं गया था। हाल में ही हमने 6 दिसम्बर को बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस मनाया। 10 दिसम्बर को अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी का बलिदान दिवस था और 18 दिसम्बर को गुरूबाबा घासीदास जी की जयंती है। मैं इन विभूतियों को नमन करते हुए बताना चाहूंगा कि हमारी नीतियों में सभी के आदर्श हैं। विगत तीन वर्षों में हमने कमजोर तबकों को बराबरी के अवसर देकर उनके बताए रास्ते पर चलने में सफल रहे हैं।
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छत्तीसगढ़ में लोगों ने तीन साल में हुए बदलावों को न सिर्फ करीब से देखा है, बल्कि उसे अपने जीवन में बेहतरी को महसूस कर रहे हैं। इस तरह हमने ऐसी योजनाएं बनाई, जो वास्तव में आदिवासी अंचल हो व मैदानी क्षेत्र सभी का भला कर सके। लोहंडीगुड़ा में जमीन वापसी के साथ आदिवासियों और किसानों के लिए न्याय का आगाज हुआ। निरस्त वन अधिकार दावों की समीक्षा से हजारों निरस्त व्यक्तिगत दावों को वापस प्रक्रिया में लाया गया। हमें खुशी है कि अब तक 22 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि आदिवासी तथा परंपरागत निवासियों को दी जा चुकी है, जो 5 लाख से अधिक परिवारों के लिए आजीविका का जरिया बन गई है।
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छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 2500 से बढ़ाकर 4000 रूपए प्रतिमानक बोरा करना ‘शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना’ लागू करने से वन आश्रित परिवारों की जिंदगी में नई रोशनी आई है। तीन साल पहले सिर्फ 7 वनोपज की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही थी। लेकिन हमने 52 वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की। इतना ही नहीं, 17 लघु वनोपजों के लिए संग्रहण पारिश्रमिक दर अथवा समर्थन मूल्य में अच्छी बढ़ोतरी भी की गई है। इस तरह लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य पर खरीदी करने, प्रसंस्करण करने, इनमें महिला स्व-सहायता समूहों को जोड़ने और आदिवासी समाज के सशक्तीकरण में बड़ी भूमिका निभाने के लिए छत्तीसगढ़ को भारत सरकार ने 25 पुरस्कार प्रदान किए है। इतना ही नहीं बल्कि स्वच्छता के लिए भी तीन साल में छत्तीसगढ़ को लगातार तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है। इस बार छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक 67 नगरीय निकायों को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिला है और एक बार फिर छत्तीसगढ़ को देश के सबसे स्वच्छ राज्य के रूप में मान्यता मिली है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के किसान भाई उन परिस्थितियों को समझ रहे हैं, जिसमें हमें काम करना पड़ रहा है, और आप लोगों को इस बात का पूरा भरोसा हुआ है कि हम किसानों से संबंधित जो काम कर रहे हैं, उसकी दिशा सही है। मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि किसान मेरी जान है, मेरे प्राण है और किसानी मेरी धड़कन है। जिस दिन मैं किसानी नही करूँगा या किसानी की बेहतरी के लिए नहीं सोचूंगा, समझ लीजिए कि उसी क्षण वह व्यक्ति नहीं रहूंगा, जिसको आप लोग प्यार करते हैं। मैंने बचपन से जवान होते तक खेतों में काम किया है, इसलिए मुझे खेती किसानी की पूरी जानकारी है। हर फसल किसान के लिए एक सीढ़ी होती है। इनपुट कास्ट कम होना और आउटपुट का दाम अच्छा मिलना ही खेती को लाभदायक बना सकता है। इसलिए हमने सबसे पहले किसानों पर जो कर्ज का बोझ था, डिफाल्टरी का कलंक था, बकायादारी की जो बाधा था, उसे कर्ज माफी से ठीक किया।
सिंचाई पंप कनेक्शन लगाने का काम सुगम किया, सिंचाई के लिए निःशुल्क या रियायती दर पर बिजली प्रदाय का इंतजाम किया। धान ही नहीं बल्कि सारी खरीफ फसलों, उद्यानिकी फसलों, मिलेट्स यानी लघु धान्य फसलों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत इनपुट सब्सिडी के दायरे में लाया। पहले साल जब हमने आपको 2500 रू. प्रति क्विंटल की दर से धान का दाम दिया तो इसमें कुछ लोगों ने रोड़ा अटकाया और हम उस बाधा को चीर कर कैसे बाहर निकले, यह कोई छिपी बात नहीं है। आगे भी ये सब सुविधाएं जारी रहेगी। हमारी सरकार चट्टान की तरह किसानों के साथ खड़ी रहेगी। कोई ताकत हमें अपने रास्ते से डिगा नहीं सकती। हमने तो धान की बंपर फसल का भी स्वागत किया है। इस साल 105 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी का अनुमान है। हम केन्द्र सरकार से लगातार यह मांग कर रहे हैं कि धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति हो। यदि यह मिल गई तो समझिए कि फिर हमें किसी के सामने हाथ भी नहीं फैलाना पड़ेगा। हम ऐसी अर्थव्यवस्था बना देंगे कि किसान को अपनी उपज का मनचाहा दाम मिलेगा।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ मॉडल वास्तव में सहभागिता, समन्वय, सर्वहित, अपनी विरासत का सम्मान करते हुए, सद्भाव के साथ मिलजुलकर आगे बढ़ने के विचार से प्रेरित है ।छत्तीसगढ़ के विकास मॉडल में सबसे बड़ी बात है, एक दूसरे का साथ, चाहे वह योजनाओं के रूप में हो या परस्पर सहयोग के रूप में। उदाहरण के लिए जब हम गांव की बात करते हैं तो किसी एक विभाग या एक योजना की बात नहीं करते। नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी, गोधन न्याय योजना से शुरूआत करते हुए मल्टीयूटीलिटी सेंटर, रूरल इंडस्ट्रियल पार्क और फूडपार्क तक पहुंच जाते है। इन सबका संबंध गांवों और जंगलों के संसाधनों से है। इनका संबंध खेती से भी, वनोपज से भी, परंपरागत कौशल और प्रसंस्करण की नई विधाओं से भी है। कमजोर तबकों को सशक्त करने की बात महात्मा गांधी, नेहरू, शास्त्री, डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, इंदिरा जी, राजीव जी जैसे हमारे सभी महान नेता कहते थे। हमने इसका मर्म पकड़ा और तीन सालों में 80 हजार करोड़ रूपये से अधिक की राशि इन कमजोर तबकों की जेब में डाली। इस तरह स्वावलंबन के भाव से छत्तीसगढ़ के जनजीवन में एक नई ताजगी का संचार हुआ।
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मुख्यमंत्री ने बताया हमने अपने राज्य के संसाधनों के राज्य में ही वेल्यूएडीशन को लेकर जब ठोस ढंग से काम शुरू किया तो औद्योगिक विकास में भी रफ्तार पकड़ी। इसके वजह से तीन साल में 1 हजार 751 उद्योग लगे और 32 हजार 192 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला। सरकारी तथा अर्द्धशासकीय कार्यालयों में बहुत से पदों पर तो 20 साल बाद स्थायी भर्ती की गई। जहां स्थायी भर्ती का प्रावधान नहीं था, वहा भी किसी न किसी तरह नौकरी दी गई, जिसे मिलाकर 4 लाख 67 हजार से अधिक नौकरियां दी गई। मनेरगा, स्व-सहायता समूहों, वन प्रबंधन जैसे अनेक क्षेत्रों को कन्वर्जेशन के माध्यम से रोजगार के अवसरों से जोड़ा गया, जिसके कारण 50 लाख से अधिक लोगों की रोजी-रोटी का इंतजाम हुआ। इस तरह हमने अपने महान संविधान द्वारा निरूपित, लोकतांत्रिक मूल्यों और कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को साकार किया। शिक्षा के क्षेत्र में स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल योजना हो या प्रशासन के क्षेत्र में 72 तहसीलों, 7 अनुभागों तथा 5 जिलों के गठन की पहल, इन सबका उद्देश्य समाज के कमजोर तबकों को न्याय दिलाना ही है।
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मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हमारा छत्तीसगढ़ मॉडल, समावेशी विकास का ऐसा मॉडल है, जिसके मूल में सद्भाव, करुणा तथा सबकी भागीदारी है।छत्तीसगढ़ ने तीन वर्षों में यह साबित कर दिखाया है कि छत्तीसगढ़ के लोगों को सिर्फ अपने राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में नई और सही सोच के साथ काम करने वाले लोगों के रूप में पहचाना जाएगा।
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