रायगढ़। जिले में भाजपा की आपसी गुटबाजी प्रदेश संगठन पर हावी हो रही है। गुटबाजी इतनी चरम पर है कि जिला भाजपा अध्यक्ष के लिए एक नाम तय करने में पार्टी आला कमान के पसीने छूट रहे हैं। एक नाम तय होने पर भाजपा का दूसरा धड़ा उस आपत्ति दर्ज करा रहा है। विवाद के चलते अब तक जिलाध्यक्ष के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है।
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जिला भाजपा अध्यक्ष को लेकर रायगढ़ में इन दिनों घमासान मचा हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि जिलाध्यक्ष के लिए दावेदारों के बीच एक राय बन ही नही पा रही है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद संगठन चुनाव में भी भाजपा की गुटबाजी इस कदर हावी है कि भाजपा जिलाध्यक्ष के लिए आम सहमति नहीं बना पा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पूर्व विधायक रोशनलाल अग्रवाल व उनका गुट पार्टी के विरुद्ध काम करने का आरोप लगाते हुए अन्य गुटों के नामों पर सहमति नहीं दे रहा है।
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इधर दावेदारों में कद्दावर नेताओं की लंबी फेहरिस्त सामने आ गई है। कुछ दिनों पहले तक जहां भाजपा के महामंत्री उमेश अग्रवाल, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य गुरुपाल भल्ला और जगन्नाथ पाणिग्रही जैसे नेताओं के नाम ही दावेदारों के रुप में शामिल थे तो वहीं अब पूर्व विधायक व मंत्रियों ने भी जिलाध्यक्ष के लिए रस्साकशी शुरु कर दी है। पूर्व मंत्री सत्यानंद राठिया और पूर्व संसदीय सचिव ओमप्रकाश राठिया के नाम भी अब जिलाध्यक्ष की दौड़ में हैं और वे आदिवासी केंडीडेट को अध्यक्ष चुनने की मांग कर रहे हैं।
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आलम ये है दो दिन पहले रायपुर में हुई कोर ग्रुप की बैठक भी आपसी खींचतान की वजह से बेनतीजा हो गई है। इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विक्रम उसेंडी, निर्वाचन प्रभारी रामप्रताप सिंह ने भी जिले के पदाधिकारियों से जिलाध्यक्ष के नामों को लेकर वन टू वन चर्चा की थी लेकिन नतीजा सिफर रहा है। ऐसे में पार्टी भी कशमकश में है। आलम ये है कि जिले में 15 नवंबर तक होने वाला जिलाध्यक्ष चुनाव अब तक नहीं हो पाया है।
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हालांकि जिला संगठन इस बात को खारिज कर रहा है। भाजपा का कहना है कि जिलाध्यक्ष चयन के लिए किसी तरह की कोई कशमकश या फिर गुटबाजी नहीं है। भाजपा में दावेदारों के नाम जरुर एक से अधिक हैं लेकिन पार्टी सर्व सम्मति से रायशुमारी कर एक नाम तय कर लेगी। इसके लिए मंगलवार को जिला भाजपा कार्यालय में बैठक आयोजित की गई है जिसमें चुनाव प्रक्रिया संपन्न होगी।
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