नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) जीशान अली ने बुधवार को घोषणा की कि उन्होंने राष्ट्रीय टेनिस सेंटर (एनटीसी) के विकास पर ध्यान लगाने के लिए भारतीय डेविस कप टीम के कोच पद से इस्तीफा दे दिया है।
जीशान (54 वर्ष) 2013 में नयी दिल्ली में दक्षिण कोरिया के खिलाफ मुकाबले से पहले नंदन बाल की जगह टीम के कोच बने थे जब देश के शीर्ष खिलाड़ियों ने खेलने की बेहतर परिस्थितियां मुहैया कराने की मांग करते हुए अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) के खिलाफ बगावत कर दी थी और नयी दिल्ली में कोरिया के खिलाफ खेलने से इनकार कर दिया था।
जीशान ने पाकिस्तान के खिलाफ ऐतिहासिक मुकाबले में देश की कप्तान की थी जिसमें भारत ने साल के शुरू में इस्लामाबाद में जीत दर्ज की थी। इसमें नियमित कप्तान रोहित राजपाल व्यक्तिगत कारणों से इस मुकाबले के लिए नहीं जा सके थे।
जीशान ने पीटीआई से कहा, ‘‘मुझे लगा कि अब मेरे लिए डेविस कप टीम के कोच पद से इस्तीफा देने का सही समय है क्योंकि कप्तान बनाये जाने के बाद मैं डेविस कप टीम के कोच के तौर पर शिखर पर अपना जुड़ाव खत्म करना चाहता था। मैंने अपना इस्तीफा परसों ही दे दिया था। ’’
जीशान ने अपने कार्यकाल में उन्होंने एसपी मिश्रा, महेश भूपति, आनंद अमृतराज और मौजूदा कप्तान रोहित राजपाल के साथ काम किया।
पूर्व डेविस कप कोच अख्तर अली के बेटे जीशान ने यह फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं नौ से ज्यादा साल डेविस कप में खेला और 11 साल से डेविस कप टीम का कोच रहा हूं। सबसे बड़ी बात मैंने टीम की कप्तानी भी की। मुझे नहीं लगता कि देश में इस तरह का कोई भी व्यक्ति है जिसे ये सभी तीनों चीजें करने का सम्मान मिला हो। ’’
जीशान को उनके कार्यकाल के दौरान कई दफा एआईटीए प्रणाली के अंतर्गत उनकी भूमिका के लिए भुगतान भी नहीं किया गया लेकिन उनके इस फैसले के पीछे यह कारण नहीं रहा।
उन्होंने कहा, ‘‘कप्तान रोहित राजपाल ने मुझे बने रहने के लिए कहा। मैंने इतने वर्षों तक डेविस कप टीम की कोचिंग की और कई दफा इसका भुगतान भी नहीं किया गया। लेकिन टीम के साथ काम करने के लिए पैसा कारण नहीं था। हमारे लिए भारत का प्रतिनिधित्व करना पूरी तरह से अलग मतलब रखता है। ’’
जीशान ने कहा, ‘‘एआईटीए के अनुसार कोच के भुगतान को लेकर कोई आधिकारिक अनुबंध नहीं है। मैं सिर्फ खेल के प्रति लगाव के कारण ही इस पद पर बना हुआ था क्योंकि मैं टीम के साथ जुड़े रहना चाहता था और हमारे युवा खिलाड़ियों को मदद करना चाहता था ताकि वे फिर भारत का प्रतिनिधित्व कर सकें।
एआईटीए महासचिव अनिल धूपर ने कहा कि एनटीसी निदेशक के तौर पर जीशान को पूरा भुगतान किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘हमने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। वह इस पद पर 10 साल तक रहे। उन्हें एनटीसी के लिए भुगतान किया गया था इसलिये अतिरिक्त भुगतान नहीं किया गया। ’’
जीशान ने कहा, ‘‘अगर एआईटीए मेरी मदद चाहता है या फिर किसी भी तरीके से डेविस कप के लिए मेरी जरूरत होती है तो मैं हमेशा उपलब्ध रहूंगा। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा पूरा ध्यान एनटीसी पर है। आने वाले दिनों में आप इसके बारे में सुनोगे कि एआईटीए के एनटीसी के लिए क्या योजनायें हैं। इसलिये इसमें मेरा काफी समय चाहिए होगा और मेरा ध्यान इन योजनाओं को उचित तरीके से जारी रखने का होगा ताकि अगली पीढ़ी के चैम्पियन बन सकें। अब मेरा ध्यान और ऊर्जा इसी पर लगी होगी। ’’
भारतीय टीम 14-15 सितंबर को स्टॉकहोम में हार्ड इंडोर कोर्ट में स्वीडन से भिड़ेगी।
भाषा नमिता मोना
मोना
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