नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) पुरुषों और महिलाओं के राष्ट्रीय शिविर को क्रमशः पुणे और गांधीनगर में स्थानांतरित करने की तैयारी में है और उसका कहना है कि अब समय आ गया है कि इस खेल को अन्य क्षेत्रों में भी ले जाया जाए तथा ‘अनुशासनहीनता’ की घटनाओं पर अंकुश लगाया जाए।
जनवरी 2023 से राष्ट्रीय शिविर स्थगित हैं जब देश के शीर्ष पहलवानों ने तत्कालीन डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था जिन पर उन्होंने महिला खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
सोनीपत के बहलगढ़ में स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) केंद्र लंबे समय से पुरुष पहलवानों के लिए ट्रेनिंग केंद्र और ट्रायल स्थल रहा है जबकि लखनऊ में स्थित साई केंद्र महिलाओं के शिविर और ट्रायल के लिए स्थल के रूप में काम करता रहा है।
जॉर्डन के अम्मान में 25 मार्च से शुरू होने वाली एशियाई चैंपियनशिप के लिए ट्रायल के दौरान 30 वर्गों में से प्रत्येक में शीर्ष चार में रहने वाले पहलवान शिविर का हिस्सा होंगे।
डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष संजय सिंह ने पीटीआई से कहा, ‘‘हम एशियाई चैंपियनशिप के समापन के बाद राष्ट्रीय शिविर फिर से शुरू करेंगे। लंबे समय से गतिविधियां बंद हैं। डब्ल्यूएफआई और सरकारी अधिकारियों के बीच संभावित स्थानों पर चर्चा हुई और हमें लगा कि शिविर को पुणे में स्थानांतरित करना खेल के लिए बेहतर होगा। ’’
इस कदम के पीछे के तर्क को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘सोनीपत केंद्र में अनुशासनहीनता की घटनाएं हुई हैं क्योंकि यह कई पहलवानों के घरों और व्यक्तिगत ट्रेनिंग केंद्रों के करीब है।’’
सिंह ने कहा, ‘‘यह हमारे संज्ञान में लाया गया था कि कुछ पहलवानों ने शिविर में नहीं रहकर नियमों का उल्लंघन किया, लेकिन सभी गतिविधियां बंद थीं तो हम कुछ नहीं कर सके। पुणे में सेना संस्थान अनुशासन बनाए रखने के लिए मशहूर है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह ऐसी आशंकाएं थीं कि लखनऊ को महिला पहलवानों के लिए शिविर की मेजबानी नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह स्थान हमारे पूर्व प्रमुख (गोंडा) के करीब माना जाता है। हम विवादों से बचना चाहते हैं और खेल पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं इसलिए हमने इसे गांधीनगर में साई केंद्र में स्थानांतरित कर दिया है, जहां बेहतरीन सुविधाएं हैं। ’’
डब्ल्यूएफआई किसी भी पहलवान को राष्ट्रीय शिविर से छूट नहीं देगा।
डब्ल्यूएफआई ने 20 अप्रैल से राजस्थान के कोटा में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप आयोजित करने का भी फैसला किया है।
डब्ल्यूएफआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘राजस्थान के राज्य संघ ने चैंपियनशिप की मेजबानी में दिलचस्पी दिखाई थी। उस राज्य ने पहले केवल एक बार ही राष्ट्रीय प्रतियोगिता की मेजबानी की है। हमें कुश्ती को देश में शीर्ष खेल बनाने के लिए नए क्षेत्रों में ले जाने की जरूरत है। ’’
यह पता चला है कि कुछ पहलवान (जिन्हें नाडा ने प्रतिबंधित किया है) ने कर्नाटक के बेल्लारी में इंस्पायर इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (आईआईएस) में ट्रेंनिग ली और प्रतिस्पर्धा की।
डोपिंग उल्लंघन के कारण प्रतिबंधित अर्जुन, पवन कुमार और आनंद जनवरी और फरवरी में आईआईएस में आयोजित ट्रेनिंग शिविर का हिस्सा थे और विश्व संचालन संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू को भी इस मामले से अवगत कराया गया है।
आईआईएस अध्यक्ष मनीषा मल्होत्रा ने कहा, ‘‘हमें (उनके डोपिंग उल्लंघन के बारे में) पता नहीं था। नाडा की टीम वहां मौजूद थी। उन्हें हमें बताना चाहिए था। यह एक अभ्यास प्रतियोगिता थी इसलिए जाहिर तौर पर एजेंडा अलग था। अगर डोप के पॉजिटिव मामले सार्वजनिक नहीं किए जाते तो कोई कैसे जान सकता है। ’’
डब्ल्यूएफआई के एक अधिकारी ने कहा कि महासंघ को ट्रेनिंग शिविर या प्रतियोगिता के संचालन की जानकारी नहीं थी।
अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर हम इसमें शामिल होते तो निश्चित तौर पर आयोजकों को सूचित करते कि कौन सा पहलवान अयोग्य है। ’’
भाषा नमिता पंत
पंत
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)