कोलकाता, 22 जनवरी (भाषा) भारत के अनुभवी तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने खुलासा किया है कि चोट के कारण लंबे समय तक बाहर रहने के बाद जब उन्होंने रिहैबिलिटेशन शुरू किया तो वह डर की भावना से घिर गए थे, लेकिन राष्ट्रीय टीम में वापसी करने की दृढ़ इच्छाशक्ति से वह उस चरण से उबरने में कामयाब रहे।
शमी को नवंबर 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकदिवसीय विश्व कप फाइनल हारने के बाद टखने की चोट के कारण राष्ट्रीय टीम से बाहर होना पड़ा था। उन्हें इसकी सर्जरी करानी पड़ी। इसके बाद जब वह राष्ट्रीय टीम में वापसी करने के करीब थे तभी उनके बाएं घुटने में सूजन आ गई थी।
इस तेज गेंदबाज को अब चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया है। वह इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली पांच मैच की टी20 श्रृंखला के लिए भी टीम में शामिल हैं।
शमी ने बीसीसीआई द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो में कहा, ‘‘मैंने पूरे एक साल तक इंतजार किया और (पूरी फिटनेस हासिल करने के लिए) बहुत मेहनत की। रिहैबिलिटेशन के दौरान दौड़ते समय भी चोटिल होने का डर था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी खिलाड़ी के लिए जब वह टीम में वापसी करने के करीब हो तब चोटिल होना बहुत मुश्किल पैदा करता है। चोटिल होने पर फिर आपको रिहैबिलिटेशन के लिए एनसीए (राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी) जाना पड़ता है और फिर वापसी करनी होती है।’’
शमी ने हालांकि कहा कि चोट लगने के बाद कोई भी खिलाड़ी अधिक मजबूत बन जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब आप चोटिल हो जाते हैं तो मुझे लगता है कि एक खिलाड़ी के रूप में आप अधिक मजबूत बन जाते हैं क्योंकि मानसिक रूप से मजबूत रहने के लिए आपको कई चीजें दोहरानी पड़ती हैं।’’
शमी ने कहा कि वह असफलताओं से उबर चुके हैं और आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जो हो गया, हो गया। मैं उस (चोट के) चरण से आगे निकल चुका हूं। यदि आप कड़ी मेहनत करते हैं तो आपको परिणाम मिलेंगे। मैं इसी में विश्वास करता हूं। यदि आप चोटिल हो जाते हैं तो आपको राष्ट्रीय टीम में वापसी करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति रखनी होगी। इसलिए (परिस्थितियों से) लड़ो और आगे बढ़ो।’’
भाषा पंत
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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