(फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) भारतीय हॉकी की दीवार पी आर श्रीजेश जब जूनियर टीम के कोच के रूप में करियर की नयी पारी का आगाज करेंगे तो उनके आदर्श भारतीय क्रिकेट की दीवार रहे राहुल द्रविड़ होंगे ।
ओलंपिक कांस्य पदक के साथ अपने सुनहरे करियर को खत्म करने वाले हॉकी टीम के दिग्गज गोलकीपर श्रीजेश को हॉकी इंडिया ने जूनियर टीम का कोच बनाने की पेशकश की है हालांकि अभी इस पर श्रीजेश की ओर से मुहर लगना बाकी है ।
पेरिस से यहां पहुंचे श्रीजेश ने ‘पीटीआई’ मुख्यालय में वरिष्ठ संपादकों के साथ बातचीत में कहा, ‘‘ मैं कोचिंग की शुरुआत जूनियर स्तर से करना चाहता हूं जैसा राहुल द्रविड़ ने किया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में आपके पास खिलाड़ियों के एक समूह को विकसित करने का मौका होगा, जब वे सीनियर टीम में आयेंगे तो वे आपको समझेंगे और आपको उनके बारे में पता होगा।’’
भारतीय क्रिकेट टीम का मुख्य कोच बनने से पहले द्रविड़ ने लंबे समय तक अंडर-19, राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) और भारत ए टीम को कोचिंग दी थी। अपने समय के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजों में शामिल रहे द्रविड़ की देखरेख में भारतीय टीम ने अमेरिका और वेस्टइंडीज में खेले गए टी 20 विश्व कप में खिताब जीता था।
इस 36 साल के खिलाड़ी ने कहा, ‘‘अगर मैं इस साल या अगले साल कोच के तौर पर काम शुरू करता हूं तो अगले साल 2025 में जूनियर विश्व कप है, इसके दो साल बाद सीनियर टीम विश्व कप खेल रही होगी। इसके दो साल बाद फिर से जूनियर विश्व कप होगा, ऐसे में 2028 तक हमारे पास 20 से 40 खिलाड़ियों का समूह होगा।’’
उन्होंने अपनी योजना के स्पष्ठ करते हुए कहा, ‘‘ हम अगर ऐसे ही काम करते रहे तो 2029 में शायद मेरे तैयार किये गये 15 से 20 खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम के शिविर में होंगे। यह आंकड़ा 2030 में लगभग 30 से 35 खिलाड़ियों तक पहुंच जायेगा।’’
श्रीजेश ने कहा कि वह 2036 ओलंपिक में भारतीय सरजमीं पर राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच रहना चाहते हैं। भारत 2036 के ओलंपिक की मेजबानी की दावेदारी की दौड़ में है।
उन्होंने कहा, ‘‘उस समय मैं शायद राष्ट्रीय टीम के कोच के लिए तैयार रहूंगा और अगर भारत ने 2036 में ओलंपिक खेलों की मेजबानी की तो शायद मैं उस टीम का कोच रहूं।’’
श्रीजेश ने कहा कि उन्हें अपने लंबे करियर में हर तरह के कोच की देखरेख में खेलने का अनुभव है जो खिलाड़ियों के काफी काम आयेगा।
भारतीय टीम के साथ अपने 18 साल के करियर में 336 मैच खेलने वाले श्रीजेश ने कहा, ‘‘ मुझे हर तरह के कोच की देखरेख में खेलने का अनुभव है चाहे वह अपने देश के कोच हो या विदेशी कोच हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ भारत में कोचिंग के दौरान भाषा एक बड़ी समस्या हैं। खिलाड़ी अलग-अलग राज्यों से आते हैं और उनकी भाषा अलग होती है। दूसरे किसी देश में इतनी भाषा नहीं हैं और उन्हें इस मामले में समस्या नहीं होती है।
भाषा आनन्द मोना पंत
पंत
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
रियल कश्मीर ने आइजोल एफसी को बराबरी पर रोका, चर्चिल…
12 hours agoखो खो विश्वकप: भारत का पहला मैच पाकिस्तान से, सलमान…
12 hours agoतमिल थलाइवाज की बंगाल वारियर्स पर बड़ी जीत
13 hours agoडब्ल्यूटीएल का तीसरा सत्र गुरुवार से
13 hours agoस्कूल लीग शुरू करने के लिए एनबीए ने बीएफआई से…
13 hours ago