लगातार शतरंज प्रतियोगिताओं में भाग लेने से शारीरिक और मानसिक तौर पर चुनौतीपूर्ण : प्रज्ञानानंदा |

लगातार शतरंज प्रतियोगिताओं में भाग लेने से शारीरिक और मानसिक तौर पर चुनौतीपूर्ण : प्रज्ञानानंदा

लगातार शतरंज प्रतियोगिताओं में भाग लेने से शारीरिक और मानसिक तौर पर चुनौतीपूर्ण : प्रज्ञानानंदा

:   Modified Date:  September 28, 2024 / 10:11 PM IST, Published Date : September 28, 2024/10:11 pm IST

… अजय मसंद …

नयी दिल्ली, 28 सितंबर (भाषा) भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंदा ने कहा कि पूरे साल शतरंज खेलने से एक खिलाड़ी के शारीरिक और मानसिक पहलुओं पर भारी असर पड़ सकता है और वह इससे निपटने के लिए टूर्नामेंटों से पहले अपने दिमाग को खेल से दूर रखने की सोचते है।   भारत को पहली बार शतरंज ओलंपियाड में स्वर्ण पदक दिलाने के बाद हाल ही में बुडापेस्ट से लौटे प्रज्ञानानंदा ने कहा कि यह लगातार शतरंज खेलने का ही नतीजा है कि वह कभी-कभी वह शतरंज की बिसात की ओर देखना भी नहीं चाहते हैं। चेन्नई के इस 19 साल के खिलाड़ी ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से इससे मानसिक और शारीरिक प्रभाव पड़ता है। लेकिन हम इसके आदी हैं… हमें इसकी आदत डालने की जरूरत है क्योंकि पूरे साल टूर्नामेंट होते रहते हैं।’’ उन्होंने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘ मुझे पिछले साल इस तरह की चुनौती का सामना करना पड़ा था। इस लिए मुझे उसकी आदत हो गयी है।’’ प्रज्ञानानंदा अब लंदन में होने वाले ग्लोबल शतरंज लीग (जीसीएल) में प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हो रहे हैं। इस टूर्नामेंट टेक महिंद्रा और अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (फिडे) का संयुक्त उद्यम है। प्रज्ञानानंदा इस लीग में मैग्नस कार्लसन के नेतृत्व वाली अल्पाइन एसजी पाइपर्स का प्रतिनिधित्व करेंगे। छह टीमों की इस लीग का आयोजन तीन अक्टूबर से शुरू होगा। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की थकान से निपटने के लिए मैं खुद को कुछ समय के लिए शतरंज से दूर कर लेता हूं। टूर्नामेंटों या प्रतियोगिताओं के दौरान भी अगर थकान हावी होने लगे तो मैं ब्रेक के दौरान खुद को शतरंज बोर्ड से अलग कर लेता हूं।’’ प्रज्ञानानंदा ने डी गुकेश, अर्जुन एरिगैसी, विदित गुजराती और पी हरिकृष्णा के साथ मिलकर ‘ओपन’ श्रेणी में शतरंज ओलंपियाड का स्वर्ण पदक जीता। कम उम्र में ही शतरंज के दिग्गज खिलाड़ियों की सूची में शामिल हो चुके प्रज्ञानानंदा ने कहा कि वह मानसिक थकान के कारण ओलंपियाड में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाए थे। प्रज्ञानानंदा ने 10 मैचों में तीन जीत, छह ड्रॉ और एक हार के साथ छह अंक हासिल किये थे। उन्होंने कहा, ‘‘ ओलंपियाड में उम्मीदों के मुताबिक व्यक्तिगत प्रदर्शन नहीं होने का एक कारण मानसिक थकान हो सकता है क्योंकि मैं बहुत ज्यादा मैच खेल रहा था।  आप जानते हैं कि कभी-कभी ऐसा होता है कि आपने अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं खेला और आपको उस तथ्य को स्वीकार कर अगले मैच में अपना सर्वश्रेष्ठ देना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ आपको बस यह जानना होगा कि क्या गलत हुआ, ऐसा क्यों हुआ। इसलिए अब मैं अपने अगले कार्यक्रम (जीसीएल) पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं।’’ प्रज्ञानानंदा ने कहा, ‘‘ओलंपियाड हमारे लिए बहुत अच्छा था। हम टीम स्वर्ण जीतना चाहते थे और हमने ऐसा किया, इसलिए यह मेरे लिए अच्छा है।’’ उन्होंने कहा कि टूर्नामेंटों के लगातार आयोजन ने उन्हें वास्तव में जीसीएल के लिए तैयारी करने का समय नहीं दिया है। वह लंदन पहुंचने के बाद इसकी तैयारी करेंगे। भाषा आनन्द नमितानमिता

 

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