अतीत से भविष्य के लिये प्रेरणा लेती हैं पी वी सिंधू |

अतीत से भविष्य के लिये प्रेरणा लेती हैं पी वी सिंधू

अतीत से भविष्य के लिये प्रेरणा लेती हैं पी वी सिंधू

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Modified Date: January 13, 2025 / 04:26 PM IST
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Published Date: January 13, 2025 4:26 pm IST

(अमनप्रीत सिंह)

नयी दिल्ली, 13 जनवरी (भाषा) भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधू जब अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाती हैं तो अतीत की अपनी कामयाबियों से भविष्य में नयी ऊंचाइयों को छूने की प्रेरणा लेती हैं ।

29 वर्ष की सिंधू ने लगभग हर ट्रॉफी और पदक जीता है । वह दो व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाले चार भारतीय खिलाड़ियों (सुशील कुमार, नीरज चोपड़ा और मनु भाकर) में से है । वह विश्व चैम्पियन रही हैं और एशियाई खेलों तथा राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीते हैं ।

पिछले सत्र में वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता को दोहरा नहीं सकी । पेरिस ओलंपिक में पदक नहीं जीत पाने से उनके भविष्य को लेकर अटकलें लगने लगी ।

सिंधू हालांकि अटकलों से विचलित नहीं होती । वह उसी जुनून और जज्बे के साथ कोर्ट पर उतरती है जिससे उसने विश्व बैडमिंटन की ऊंचाइयों को छुआ है ।

यह पूछने पर कि क्या अभी भी उनके भीतर जीत की भूख बाकी है, सिंधू ने पीटीआई से कहा ,‘‘ बिल्कुल ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ मैं इसलिये ऐसा कह रही हूं क्योंकि जब आप उन कामयाबियों को देखते हैं तो आप खुश होते हैं और आपका आत्मविश्वास बढता है । बार बार जीत को देखने से भूख और बढती है ।’’

खेल उत्पाद निर्माता ब्रांड प्यूमा द्वारा कराई गई बातचीत में उन्होंने कहा ,‘‘ कुछ क्लिप्स हैं जब मैं बिल्कुल छोटी थी और उन्हें देखकर बहुत अच्छा लगता है । ऐसा लगता है कि मैने कितना कुछ किया है और आगे भी कर सकती हूं । आप खुद से सवाल करते हैं और वहीं से सब शुरू होता है ।’’

सिंधू ने कहा ,‘‘ मैने खेल में बहुत उतार चढाव देखे हैं लेकिन खुद पर भरोसा बनाये रखना जरूरी था । ऐसे भी दिन थे जब मैं चोटिल थी और मुझे पता नहीं था कि वापसी कर सकूंगी या नहीं । अपना शत प्रतिशत दे सकूंगी या नहीं । ऐसा 2015 में हुआ जब मुझे चोट लगी थी लेकिन मैने उसके बाद वापसी की और रियो में रजत पदक जीता ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ उसके बाद से मेरा जीवन ही बदल गया और अभी तक मुझे काफी पुरस्कार , सम्मान मिले जिससे मेरा आत्मविश्वास बढा । मैने जो कुछ हासिल किया, उसके लिये कृतज्ञता है और जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो कह सकती हूं कि मैं जो कर सकती थी, मैने किया ।’’

हार और जीत सीखने का हिस्सा होती है तो सिंधू के लिये सबसे बड़ी सीख क्या रही ? यह पूछने पर उन्होंने कहा ,‘ संयम बनाये रखना । इससे जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिला । सही समय का इंतजार करना जरूरी है और तब तक संयम रखना होता है ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ ऐसे भी दिन थे जब मुझे लगता था कि मैं क्यो हार रही हूं, वापसी कर सकूंगी या नहीं । मुझे खुद पर शक होने लगा था लेकिन मेरे आसपास के लोग काफी सहयोगी थे और उन्होंने कहा कि खुद पर भरोसा रखो , तुम जरूर वापसी करोगी ।’’

सिंधू ने कहा कि कैरियर में इतनी सफलता अर्जित करने के बावजूद आज भी वह हार को पचा नहीं पाती हैं ।

उन्होंने कहा ,‘‘ दुख होता है । आज भी हारने पर उतना ही दुख होता है भले ही किसी को कुछ साबित नहीं करना है । या इतना कुछ हासिल करने के बाद भी । मुझे लगता है कि अभी काफी समय बचा है और मैं बहुत सारे टूर्नामेंट जीत सकती हूं । अगर आप फिट हैं, चोटिल नहीं है और जीत का जज्बा है तो कैरियर लंबा होता है ।’’

भाषा

मोना पंत

पंत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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