पेरिस पैरालंपिक: दीप्ति को कांस्य पदक, अवनि पदक से चूकी |

पेरिस पैरालंपिक: दीप्ति को कांस्य पदक, अवनि पदक से चूकी

पेरिस पैरालंपिक: दीप्ति को कांस्य पदक, अवनि पदक से चूकी

:   Modified Date:  September 3, 2024 / 11:34 PM IST, Published Date : September 3, 2024/11:34 pm IST

पेरिस, तीन सितंबर ( भाषा ) विश्व चैंपियनशिप की स्वर्ण पदक विजेता भारत की दीप्ति जीवनजी ने मंगलवार को यहां पेरिस पैरालंपिक की एथलेटिक्स की महिला 400 मीटर टी20 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता लेकिन स्टार निशानेबाज अवनि लेखरा महिलाओं की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस एसएच1 स्पर्धा के फाइनल में पांचवें स्थान पर रहते हुए मौजूदा खेलों का दूसरा पदक जीतने से चूक गईं।

इसी महीने 21 बरस की होने वाली दीप्ति ने 55.82 सेकेंड के समय के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया। वह यूक्रेन की यूलिया शुलियार (55.16 सेकेंड) और विश्व रिकॉर्ड धारक तुर्की की आयसेल ओंडर (55.23 सेकेंड) के बाद तीसरे स्थान पर रहीं।

टी20 श्रेणी बौद्धिक रूप से कमजोर खिलाड़ियों के लिए है।

भारत के कुल पदकों की संख्या अब 16 हो गई है जिसमें तीन स्वर्ण, पांच रजत और आठ कांस्य पदक शामिल हैं। भारत को अब तक ट्रैक एवं फील्ड में छह पदक मिले हैं। भारत अभी पदक तालिका में 18वें स्थान पर है।

तेलंगाना के वारंगल जिले के कल्लेडा गांव के खेतिहर मजदूर की बेटी दीप्ति को स्कूल स्तर की एथलेटिक्स प्रतियोगिता में उनके एक शिक्षक द्वारा देखे जाने के बाद बौद्धिक रूप से कमजोर होने का पता चला।

बड़े होने पर उनकी इस कमजोरी के कारण उन्हें और उनके माता-पिता को उनके गांव के लोगों के ताने सुनने पड़े। हालांकि पिछले साल एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण जीतने और इस साल मई में पैरा विश्व चैंपियनशिप में विश्व रिकॉर्ड तोड़कर एक और स्वर्ण पदक जीतने के बाद से यही गांव जश्न मना रहा है।

अवनि 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस एसएच1 स्पर्धा के फाइनल में पांचवें स्थान पर रहीं:

अवनि महिलाओं की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस एसएच1 स्पर्धा के फाइनल में पांचवें स्थान पर रहीं।

राजस्थान की 22 साल की यह निशानेबाज कार दुर्घटना में कमर के नीचे के हिस्से में लकवा मारने के कारण 11 साल की उम्र से व्हीलचेयर पर निर्भर हैं। उन्होंने आठ खिलाड़ियों के फाइनल में नीलिंग, प्रोन और स्टैंडिंग में 420.6 अंक के साथ पांचवें स्थान पर रहते हुए अपना अभियान खत्म किया।

जर्मनी की नताशा हिल्ट्रोप ने कुल 456.5 के साथ स्वर्ण पदक जीता, स्लोवाकिया की वेरोनिका वाडोविकोवा ने 456.1 के साथ रजत और चीन की झांग ने 446.0 के साथ कांस्य पदक जीता।

अवनि ने अच्छी शुरुआत की थी लेकिन वह प्रोन चरण के बाद छठे स्थान पर खिसक गयी। व्हीलचेयर पर निर्भरता के कारण प्रोन निशानेबाजी उनका मजबूत पक्ष नहीं है।

उन्होंने इसके बाद स्टैंडिंग चरण में वापसी की कोशिश की लेकिन 8.3 अंक वाला एक निशाना साधने के बाद वह पिछड़ गयी।

एसएच1 में खिलाड़ी बिना किसी मुश्किल के बंदूक पकड़ सकते हैं तथा खड़े होकर या बैठकर निशाना लगा सकते हैं।

इससे पहले क्वालीफाइंग चरण में अवनि ने नीलिंग, प्रोन और स्टैंडिंग में 1159 स्कोर के साथ सातवें स्थान पर रहते हुए फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था। इस स्पर्धा में भारत की एक अन्य निशानेबाज मोना अग्रवाल क्वालीफाइंग में 13वें स्थान पर रहते हुए फाइनल में जगह बनाने में नाकाम रहीं थी। मोना ने कुल 1147 का स्कोर बनाया था।  क्वालीफिकेशन में शीर्ष आठ स्थान पर रहने वाले निशानेबाजों ने फाइनल में जगह बनायी।

अवनि ने मौजूदा खेलों में महिलाओं की 10 मीटर राइफल एसएच 1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था जिसमें मोना को कांस्य पदक मिला था। अवनि ने तोक्यो पैरालंपिक में भी इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता था।

भाग्यश्री महिलाओं की एफ34 महिला गोला फेंक में पांचवें स्थान पर:

भाग्यश्री जाधव महिलाओं की एफ34 महिला गोला फेंक के फाइनल में पांचवें स्थान पर रहीं।

पैरालंपिक में दूसरी बार हिस्सा ले रही भाग्यश्री ने गोले को 7.28 मीटर की दूरी तक फेंका लेकिन यह पोडियम पर जगह दिलाने के लिए नाकाफी था।

चीन की लिजुआन झोउ ने 9.41 मीटर के सत्र के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ स्वर्ण पदक जीता जबकि पोलैंड की लुसीना कोर्नोबीस ने 8.33 मीटर के प्रयास से रजत पदक अपने नाम किया।

महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले की रहने वाली 39 साल की भाग्यश्री 2006 में दुर्घटना के बाद अपने पैरों का इस्तेमाल नहीं कर पाती। इस घटना के बाद वह अवसाद में चली गईं थी और परिवार तथा मित्रों के उत्साहवर्धन के बाद पैरा खेलों से जुड़ी।

एफ34 वर्ग के खिलाड़ियों को हाइपरटोनिया (कठोर मांसपेशियां), एटैक्सिया (खराब मांसपेशी नियंत्रण) और एथेटोसिस (अंगों या धड़ की धीमी गति) सहित समन्वय संबंधी कमियों से निपटना पड़ता है।

तीरंदाज पूजा 4-0 की बढ़त बनाने के बावजूद क्वार्टर फाइनल में हारी:

विश्व पैरा चैम्पियनशिप की रजत पदक विजेता पूजा जटियां महिला रिकर्व ओपन क्वार्टर फाइनल में पहले दो सेट जीतकर 4-0 की बढ़त बनाने के बावजूद चीन की दिग्गज वू चुनयान के खिलाफ 4-6 की हार के साथ पेरिस पैरालंपिक से बाहर हो गईं।

रियो 2016 में टीम स्वर्ण पदक सहित पैरालंपिक में चार पदक जीतने वाली चीन की 34 साल की दिग्गज चुनयान ने खराब शुरुआत के बाद जोरदार वापसी की। वह पहले सेट में दो बार सात अंक से 23 अंक ही जुटा पाईं थी।

पूजा ने पहला सेट में सिर्फ दो अंक गंवाए और इसे 28-23 से जीता।

गुरुग्राम में जन्मीं 27 साल की पूजा ने दूसरे सेट में अपने अंतिम प्रयास में परफेक्ट 10 अंक के साथ 25-24 की जीत से 4-0 की बढ़त बनाई।

पूजा तीसरा सेट जीतकर सेमीफाइनल में जगह बनाने के करीब थी लेकिन अपने अंतिम प्रयास में सात अंक ही जुटा सकी जिससे चीन की तीरंदाज ने सेट 28-27 से जीतकर स्कोर 2-4 किया।

पूजा इसके बाद दबाव में आ गईं और चौथे सेट में सिर्फ 24 अंक जुटाकर इसे भी गंवा दिया जिससे स्कोर 4-4 हो गया।

चुनयान ने इसके बाद पांचवें और अंतिम सेट में अपने अंतिम प्रयास में 10 अंक के साथ 27-24 से सेट जीतकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया।

पूजा ने इससे पहले तुर्की की यगमुर सेंगुल को सीधे सेटों में हराकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया ।

पूजा को प्री क्वार्टर फाइनल में बाई मिला था चूंकि वह रैंकिंग दौर में शीर्ष नौ में रही थी । उन्होंने 6-0 से जीत दर्ज की।

भाषा सुधीर

सुधीर

 

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