नयी दिल्ली, 24 दिसंबर (भाषा) पेरिस पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय तीरंदाज हरविंदर सिंह ने मंगलवार को खेल पुरस्कार देने में ‘भेदभाव’ का आरोप लगाया और सवाल किया कि तोक्यो खेलों की तरह इस साल के खेलों में पदक जीतने वालों को खेल रत्न सम्मान क्यों नहीं दिया जा रहा।
तोक्यो खेलों के कांस्य विजेता हरविंदर पेरिस खेलों के फाइनल में पोलैंड के लुकास सिसजेक को 6-0 से हराकर अपना पहला स्वर्ण पदक जीता।
हरविंदर ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘खेलों में भेदभाव।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘तोक्यो 2020 पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेताओं को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया लेकिन पेरिस 2024 पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेताओं का क्या? वही प्रतियोगिता, वही स्वर्ण, वही गौरव – वही पुरस्कार क्यों नहीं?’’
तोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली निशानेबाज अवनि लेखरा, भाला फेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल और बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत को ओलंपिक चैंपियन भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के साथ खेल रत्न से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय तीरंदाजी कोच और द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता जीवनजोत सिंह तेजा ने ट्वीट किया, ‘‘वर्ष 2021 में सभी ओलंपिक पदक विजेताओं और पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेताओं को खेल रत्न से सम्मानित किया गया और यह देखना बेहद प्रेरणादायक है कि सरकार हमारे खिलाड़ियों के अपार योगदान को मान्यता देना जारी रखती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि मैं समझता हूं कि नीति अब बदल गई होगी जो मुझे हरविंदर सिंह की असाधारण उपलब्धियों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रेरित करती है।’’
अपने शिष्य की उपलब्धियों को सूचीबद्ध करते हुए जीवनजोत ने कहा, ‘‘हरविंदर सिंह ने पेरिस पैरालंपिक में पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता, साथ ही रिकर्व मिश्रित टीम स्पर्धा में चौथा स्थान हासिल किया। 2021 पैरालंपिक में भारत के लिए पहला व्यक्तिगत कांस्य पदक जीतने की उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि ने उन्हें पहले ही देश के शीर्ष खिलाड़ियों में शामिल कर दिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा वह 2018 पैरा एशियाई खेलों में स्वर्ण और 2022 खेलों में कांस्य जीतने वाले एकमात्र तीरंदाज हैं। ये उपलब्धियां ना केवल उनके समर्पण और प्रतिभा को दर्शाती हैं बल्कि पैरा खेलों के क्षेत्र में उनके द्वारा भारत को दिलाया गया गौरव भी दर्शाती हैं।’’
जीवनजेत ने कहा, ‘‘मैं आपसे विनम्र अनुरोध करता हूं कि आप हरविंदर सिंह को खेल रत्न पुरस्कार देने पर विचार करें क्योंकि उनके प्रयासों को मान्यता देने से निस्संदेह अनगिनत अन्य खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी और अंतरराष्ट्रीय खेल समुदाय में भारत की स्थिति में और सुधार होगा।’’
भाषा सुधीर आनन्द
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