पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी ढिल्लों पैरालंपिक पदक के लिए प्रकाश पादुकोण अकादमी में प्रशिक्षण लेंगे |

पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी ढिल्लों पैरालंपिक पदक के लिए प्रकाश पादुकोण अकादमी में प्रशिक्षण लेंगे

पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी ढिल्लों पैरालंपिक पदक के लिए प्रकाश पादुकोण अकादमी में प्रशिक्षण लेंगे

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Modified Date: December 2, 2024 / 07:14 PM IST
Published Date: December 2, 2024 7:14 pm IST

नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) तीन बार के विश्व चैम्पियन पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी तरुण ढिल्लों 2028 में लॉस एंजिल्स में होने वाले पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने के सपने को साकार करने के लिए बेंगलुरु स्थिति प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी में प्रशिक्षण लेंगे।

तीस साल के ढिल्लों एकल में एसएल4 वर्ग में चुनौती पेश करते हैं और उन्होंने पैरालंपिक पदक के अलावा इस खेल के लगभग सभी बड़े खिताब जीते हैं। ढिल्लों ने 2013, 2015 और 2019 विश्व चैम्पियनशिप के स्वर्ण पदक के अलावा कुमार नितेश के साथ हांगझोऊ एशियाई पैरा खेलों में एसएल3-एसएल4 वर्ग में पुरुष युगल का स्वर्ण पदक जीता है।

एसएल4 वर्ग उन खिलाड़ियों के लिए होता है जिनके शरीर के एक तरफ, दोनों पैरों में, या एक अंग में मामूली कमी के कारण गतिशीलता प्रभावित होती है।

उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ मुझे इस खेल के कुछ और गुर सीखने की जरूरत है और इसके लिए मैं आगामी सत्र से प्रकाश पादुकोण अकादमी में प्रशिक्षण लेना चाहता हूं। इसके लिए मुझे खेल मंत्रालय को पत्र लिखना होगा।’’

टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) में शामिल इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘पेरिस मेरा दूसरा पैरालंपिक था। मैं वहां आत्मविश्वास के साथ गया था लेकिन मैं फ्रांस के खिलाड़ी से हारने के बाद सेमीफाइनल में पहुंचने में असफल रहा था। फ्रांस के उस खिलाड़ी ने स्वर्ण जीता था। अगर मैं वह मैच जीत जाता तो शायद मेरे पास भी पदक जीतने का मौका होता। मेरे पास पैरालंपिक का कोई पदक नहीं है और मुझे इसे 2028 पैरालंपिक में जीतना है।’’

ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग ने अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस से पहले एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में 2018 एशियाई पैरा खेलों में महिलाओं की शॉटपुट स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाली दृष्टिबाधित निधि मिश्रा भी मौजूद थीं।

अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मंगलवार को है।

निधि बचपन में ‘रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा’ से पीड़ित थी, जिससे उसकी दृष्टि धीरे-धीरे कम होती गई। यह 31 साल की खिलाड़ी एफ12-13 वर्ग में भाग लेती है।

उसके पास इतिहास में डॉक्टरेट की डिग्री है और वह दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में पढ़ाती है।

उसने कहा, ‘‘10 साल पहले जब मैंने खेलना शुरू किया था, तब से पैरा खेलों का परिदृश्य काफी बेहतर हुआ है। इसमें हालांकि आगे भी सुधार करने की गुंजाइश है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हमें महिला खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून, कानूनों के बेहतर क्रियान्वयन की आवश्यकता है। खेल में भाग लेने वाली महिलाओं को प्रशिक्षण के साथ-साथ प्रतिस्पर्धा के लिए भी सुरक्षित स्थान की आवश्यकता होती है।’’

भाषा आनन्द सुधीर

सुधीर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)