नीरज चोपड़ा ने एनआईएस पटियाला में ‘मोंडोट्रैक’ लगाने की मांग की |

नीरज चोपड़ा ने एनआईएस पटियाला में ‘मोंडोट्रैक’ लगाने की मांग की

नीरज चोपड़ा ने एनआईएस पटियाला में ‘मोंडोट्रैक’ लगाने की मांग की

:   Modified Date:  October 23, 2024 / 05:47 PM IST, Published Date : October 23, 2024/5:47 pm IST

नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (भाषा) खेल मंत्री मनसुख मांडविया के साथ राष्ट्रीय खेल विधेयक पर चर्चा के दौरान भारत के शीर्ष भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने बुधवार को यहां सरकार से पटियाला स्थित राष्ट्रीय खेल संस्थान में ‘मोंडोट्रैक’ को जल्दी लगाने की मांग की।

‘मोंडोट्रैक’ एक नयी सतह है जिसका उपयोग ट्रैक स्पर्धाओं के लिए किया जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि यह प्रदर्शन के स्तर को बढ़ाने के साथ चोट की संभावना को कम करता है। पेरिस ओलंपिक और ब्रसेल्स में आयोजित डायमंड लीग के फाइनल में ट्रैक स्पर्धाओं का आयोजन इसी पर किया गया था। दुनिया भर के शीर्ष खिलाड़ियों ने इसकी सराहना की थी।

‘वल्केनाइज्ड’ रबर से बना यह ट्रैक खिलाड़ियों के चोटिल होने की संभावनाओं को कम करने के साथ उनकी गति को बढ़ता है। यह खिलाड़ियों के लिए लय बनाये रखने में मददगार होता है और इस पर उन्हें कम थकान महसूस होती है।

खिलाड़ियों और कोच के साथ बैठक में मौजूद एक सूत्र ने कहा कि दो बार के ओलंपिक-पदक विजेता ने जमीनी स्तर पर अधिक स्टेडियम को तैयार करने के साथ पटियाला में ‘मोंडोट्रैक’ की आवश्यकता के बारे में जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘नीरज ने इस चर्चा में ऑनलाइन भाग लिया और कहा कि वह 2018-19 से पटियाला में ‘मोंडोट्रैक’ की मांग कर रहे हैं। जमीनी स्तर पर सुविधाएं एक और अहम मुद्दा है।’’

सूत्र ने कहा, ‘‘उन्होंने कहा कि जब भारतीय एथलीट विदेश में प्रतिस्पर्धा करते हैं तो आजकल ज्यादातर प्रतियोगिताएं ‘मोंडोट्रैक’ पर आयोजित की जाती हैं। इससे उनके प्रदर्शन का स्तर प्रभावित होता है।’’

नीरज ने कहा कि स्टेडियमों का इस्तेमाल सिर्फ राष्ट्रीय शिविर और विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंटों के लिए ही नहीं होना चाहिये।

उन्होंने कहा, ‘‘ जब भारत 2036 में ओलंपिक की मेजबानी की आकांक्षा रखता है तो स्टेडियमों का उपयोग सिर्फ शिविरों और विश्व कप के लिए नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर देश को नयी प्रतिभा चाहिए तो जमीनी स्तर पर अधिक सुविधाएं तैयार करने के साथ-साथ इन स्टेडियमों का अधिक उपयोग किया जाना चाहिए। हमें कोच की भूमिका को नहीं भूलना चाहिए।’’

सूत्र ने कहा, ‘‘ नीरज ने यह भी मांग की कि भारतीय कोचों को अधिक जागरूक बनाया जाना चाहिए और उन्हें दुनिया भर में जो हो रहा है उसके अनुरूप होना चाहिए ।’’

भाषा आनन्द आनन्द सुधीर

सुधीर

 

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